नई दिल्ली: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, खरीफ 2023 में भारत भर में फसलों का बीमा करने की प्रक्रिया 31 जुलाई तक जारी है। इसके लिए संबंधित नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है। योजना के अंतर्गत ऋणी और गैर-ऋणी किसान दोनों ही फसलों का बीमा करा सकते हैं।
राजस्थान में केवल तीन इंश्योरेंस कंपनियों को बीमा करने का टेंडर
राजस्थान में इस बार केवल तीन इंश्योरेंस कंपनियों को ही फसलों का बीमा करने का टेंडर हुआ है। इनमें क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड, रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड शामिल हैं। यह तीसरी कंपनी सरकारी कंपनी है और नाबार्ड जैसी संस्थाओं के शेयर भी उसमें हैं।
पहले फसल बीमा कराने वाले किसानों का प्रीमियम बैंक द्वारा दस्तावेजीकरण
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पहले से फसल बीमा करवाने वाले किसानों का प्रीमियम अब उनके बैंक खातों से खुद काट लिया जाएगा। ऐसे किसानों को अपने बैंक में 24 जुलाई तक योजना में शामिल नहीं होने के लिए एक घोषणा पत्र जमा करना होगा। यदि किसान इसे नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें योजना में शामिल माना जाएगा और उनकी फसलों का बीमा हो जाएगा।
फसल बीमा कराने वाले किसानों को बदलाव की सुविधा
इस खरीफ सीजन में फसल बीमा कराने का इरादा रखने वाले किसानों को यदि उनकी बीमित फसल में कोई बदलाव करना होता है, तो ऐसे किसान 29 जुलाई तक अपने संबंधित बैंक में जाकर इसकी सूचना दे सकते हैं। इसके लिए बीमा करने वाला बैंक किसान से एक प्रमाण पत्र लेगा, जिसमें यह स्पष्ट किया जाना होगा कि उस किसान ने अपनी बोई गई फसल का किसी दूसरे बैंक से फसल बीमा नहीं करवाया है।
गैर-ऋणी और बंटाईदार किसानों के लिए बीमा का प्रोसेस
गैर-ऋणी और बंटाईदार किसान अपनी मर्जी के आधार पर फसलों का बीमा करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें खुद के नाम के मालिकाना हक के कागज, प्रमाण-पत्र, बैंक खाते की जानकारी, आधार कार्ड, अपना खाता पोर्टल से डाउनलोड की गई जमाबंदी देनी होगी। इसके अलावा फसल बुवाई घोषणा-पत्र, बंटाईदार किसान का शपथ-पत्र, बंटाईदार किसान का राजस्थान का मूल निवास प्रमाण-पत्र और आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों से गैर-ऋणी किसान के रूप में फसल बीमा कराया जा सकता है।
अधिकारियों की सलाह पर बीमा प्रक्रिया में सुधार
फसल बीमा कराने वाले किसानों को उनकी फसलों में होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा प्रदान किया जाएगा, जैसे कि खड़ी फसल (बुवाई से कटाई) में सूखा, लम्बी सूखा अवधि, बाढ़, जल भराव, कीट एवं व्याधि, प्राकृतिक आग एवं बिजली का गिरना, तूफान, ओलावृष्टि, चक्रवात से होने वाले नुकसान आदि। नुकसान का आकलन राज्य सरकार की ओर से किया जाएगा। इसके अलावा फसल कटाई के बाद खेत में रखी फसल में होने वाले नुकसान पर भी मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन यह मुआवजा कटाई के अधिकतम 14 दिन के अंदर हुए नुकसान पर ही देय होगा। इस योजना के माध्यम से बीमित किसानों को सुरक्षित महसूस कराया जा रहा है और उन्हें आने वाले किसानी ऋण में नुकसान होने पर भी अवसर मिलेगा। सरकार के प्रयासों से किसानों की खेती सुरक्षित बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।