कृषि पिटारा

इस सब्जी की खेती कर आप कमा सकते हैं बढ़िया मुनाफा

नई दिल्ली: हमारे देश में सब्जियों की खेती करने वाले काफी किसान सेम की खेती करते हैं। इस सब्जी की खेती के लिए दोमट, चिकनी एवं रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5.3 से 6 के बीच होना चाहिए। पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी में सेम की खेती करने से आपको अच्छी पैदावार मिलेगी। किसी भी फसल की खेती के लिए खेत की तैयारी काफी महत्वपूर्ण चरण होता है। इसलिए इस सब्जी की खेती के दौरान 1 बार मिट्टी पलटने वाले हल से खेत की जुताई करें। इसके बाद सामान्य हल से 2 से 3 बार हल्की जुताई करें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाएं। इससे खेत की मिट्टी समतल हो जाएगी।

वेलवेट, सफेद चपटा, लाल चपटा और जे- 2 सेम की कुछ उन्नत किस्में हैं। सेम के बीज तैयार खेत में सीधे बोए जाते हैं। इसकी खेती थालों में की जाती है। बुआई के दौरान प्रति थाला 2 से 3 बीज की आवश्यकता होती है। अगर आप सेम की बरसाती फसल की बुआई करना चाहते हैं तो इसके लिए जून से लेकर जूलाई तक का समय सबसे उपयुक्त होगा। जबकि, इसकी गर्मी की फसल के लिए जनवरी से फरवरी के बीच का समय अनुकूल होता है। सेम की खेती के लिए जहां तक बीज दर का सवाल है तो प्रति एकड़ में 8 से 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुआई के दौरान कतार से कतार के बीच 2 मीटर की दूरी जबकि पौधे से पौधे के बीच डेढ़ मीटर की दूरी बनाए रखनी चाहिए।

चूंकि सेम एक दलहनी सब्जी है। इसलिए इसको नाइट्रोजन की कम तथा स्फूर की अधिक आवश्यकता होती है। आप इस फसल को प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी खाद 60-80 क्विंटल, यूरिया 40-60 किलोग्राम, सिंगल सुपर फास्फेट 140-160 किलोग्राम तथा म्यूरिएट ऑफ पोटाश 40 किलोग्राम दे सकते हैं। ध्यान रखें कि स्फूर तथा पोटाश वाले उर्वरक सेम की बुआई करते समय डालना चाहिए। जबकि नत्रजन वाले उर्वरक जैसे कि यूरिया का उपयोग 2- 3 किस्तों में करना चाहिए।

आप इस फसल की सिंचाई गर्मी के मौसम में 5-7 दिनों पर तथा बरसात में आवश्यक्तानुसार कर सकते हैं। सेम के लतर पर फूल निकलने के 2 से 3 सप्ताह बाद फलियों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। फलियों की तुड़ाई में देर होने पर ये कठोर हो जाती हैं। इसलिए इसमें देर नहीं करें। सेम की खेती कर आप प्रति एकड़ खेत से 20 से 32 क्विंटल तक हरी फलियां आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

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