नई दिल्ली: मानसून की अनिश्चितता की वजह से हमारे देश में अक्सर किसानों को फसल की सिंचाई के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कम या अधिक बारिश की वजह से किसानों की फसलें कई बार नष्ट हो जाती हैं। किसानों को इस परिस्थिति से सुरक्षा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा 2018-19 के आम बजट में किसान उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान यानी कुसुम (KUSUM) योजना की घोषणा की गई थी। यह योजना बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रखकर शुरू की गयी है। इसके तहत देशभर में सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले डीजल या बिजली से चलने वाले सभी पंपों को सोलर ऊर्जा से चलाने की योजना है।
कुसुम योजना के जरिये केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंपों को बिजली या डीजल की जगह पर सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए सरकार द्वारा कुसुम योजना के लिए कुल 1.40 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इस पर आने वाले कुल खर्च में से केंद्र सरकार 48 हजार करोड़ रुपये और इतनी ही राशि राज्य सरकारें देंगी। जबकि, किसानों को सोलर पंप की कुल लागत का सिर्फ 10 प्रतिशत ही खर्च वहन करना होगा।
कुसुम योजना के पहले चरण में सभी डीजल पंप बदले जाएंगे। इस दौरान किसानों के सिर्फ उन सिंचाई पंप को शामिल किया जाएगा जो अभी डीजल से चल रहे हैं। सरकार के एक अनुमान के अनुसार इस तरह के 17.5 लाख सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी। इससे डीजल की खपत और कच्चे तेल के आयात पर रोक लगाने में भी मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार की कुसुम योजना किसानों को दो तरह से फायदा पहुंचाएगी। एक तो इससे किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली मिलेगी और दूसरा अगर वह अतिरिक्त बिजली बनाकर ग्रिड को भेजते हैं तो इसके बदले उन्हें अतिरिक्त कमाई भी होगी। अगर आपके पास बंजर भूमि है तो आप इसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए कर सकते हैं। इससे बंजर जमीन से भी आपको आमदनी होने लगेगी।
केंद्र सरकार की कुसुम योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं, वेबसाइट है: https://mnre.gov.in/