पटना: कोरोना संकट की वजह से लाखों प्रवासी श्रमिक बिहार वापस लौटे हैं। इन्हें रोजगार देने के लिए राज्य सरकार लगातार नए-नए अवसरों की तलाश कर रही है। सरकार की योजना के अनुसार प्रदेश में नए निवेश को भी आकर्षित करने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। इसके लिए औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति में भी कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इस दिशा में राज्य के प्रत्येक जिले में छोटे उद्योग खोले जा रहे हैं। ये उद्योग जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना के तहत खोले जा रहे हैं। इसके लिए राज्य सरकार ने सभी जिलों को 50-50 लाख रुपए की राशि निर्गत की है। सभी 38 जिलों में अभी तक 189 छोटे उद्योगों को चिन्हित किया जा चुका है। उद्योग विभाग के अनुसार बेगूसराय और कैमूर में चार जगहों पर काम भी शुरू हो चुका है। इन सभी छोटे उद्योगों में प्रवासी श्रमिकों का समूह बनाकर उन्हें रोजगार दिया जा रहा है।
जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना के तहत खोले जा रहे छोटे उद्योगों में जिला स्तर पर उन प्रवासी श्रमिकों के समूह बनाए गए हैं, जो एक ही सेक्टर से जुड़े हैं। प्रत्येक समूह के सदस्यों की न्यूनतम संख्या 10 निर्धारित की गई है। चूँकि प्रत्येक जिले को 50 लाख रुपए की राशि मुहैया कराई जा रही है और हर समूह पर 10 लाख रुपए खर्च किए जाने हैं, तो इस लिहाज से हर जिले में पांच समूह बनाए जा रहे हैं। कई जिलों में समूह निर्माण की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
आपको बता दें कि जिला औद्योगिक नव प्रवर्तन योजना के तहत जो उद्योग खोले जा रहे हैं उनमें मशरूम प्रसंस्करण केंद्र, हस्तकरघा बुनाई केंद्र, सिलाई केंद्र, पेपर ब्लॉक उपकरण, बढ़ईगिरी केंद्र, शहद निर्माण, खेल का सामान, जैकेट और बैग निर्माण, बांस उत्पादों पर आधारित उद्योग, लाउंड्री, लकड़ी का फर्नीचर, रेडीमेड गारमेंट, पेवर ब्लॉक, जरी का कार्य, इम्ब्राइडरी, बेकरी, स्टील फर्नीचर, अचार निर्माण, हैंडीक्रॉफ्ट, फाइबर, फुटवियर, पीवीसी बोर्ड और अगरबत्ती निर्माण आदि उद्योग शामिल हैं।