भारत पशु उत्पादन (एनिमल प्रोडक्शन) के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। दूध उत्पादन में पहले ही विश्व में शीर्ष स्थान हासिल करने के बाद अब देश अंडा उत्पादन में भी दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। मांस उत्पादन में भी भारत ने बड़ी छलांग लगाते हुए आठवें से सीधे पांचवें स्थान पर जगह बना ली है। इन उपलब्धियों के साथ-साथ घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ अब पशु उत्पादों का निर्यात (एक्सपोर्ट) भी बढ़ रहा है, हालांकि इसमें कई बाधाएं भी सामने आ रही हैं।
टीकाकरण की अहम भूमिका
विशेषज्ञों के अनुसार, पशुओं में समय पर टीकाकरण न होना पशु उत्पादों के निर्यात में सबसे बड़ी अड़चन बनकर उभरा है। कई बार पशुओं को बीमारी के समय दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं की वजह से उत्पादों में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) विकसित हो जाता है, जिससे वे अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे नहीं उतरते। यही कारण है कि भारतीय पशु उत्पादों को कई बार वैश्विक बाजार में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। एनिमल हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसानों को सही समय पर पशुओं का टीकाकरण कराने के लिए जागरूक किया जाए और मानकों के अनुसार प्रक्रिया अपनाई जाए, तो देश में एनिमल प्रोडक्ट का निर्यात कई गुना तक बढ़ सकता है।
टीकाकरण से होंगे ये फायदे
पशुओं का समय पर टीकाकरण कराने से न केवल उनके जीवन और उत्पादन में सुधार आता है, बल्कि यह बीमारियों के इलाज पर होने वाले खर्च को भी कम करता है। साथ ही इससे मनुष्यों में पशुओं से फैलने वाली बीमारियों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, जब पशु स्वस्थ रहते हैं तो किसानों की उत्पादकता और आमदनी दोनों में इजाफा होता है। वहीं, वैश्विक निर्यात के लिहाज से भी भारत के पशु उत्पाद प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।
इन बातों का रखना होगा विशेष ध्यान
टीकाकरण से जुड़ी प्रक्रिया को सही ढंग से अपनाना जरूरी है। केवल स्वस्थ पशुओं को ही टीका लगाया जाना चाहिए और टीकाकरण से पहले कृमिनाशक दवा देना जरूरी होता है। साथ ही, बीमारी की आशंका वाले मौसम से करीब 20-30 दिन पहले टीकाकरण पूरा कर लेना चाहिए। विशेष ध्यान इस बात का भी रखना जरूरी है कि गर्भवती पशुओं को टीका न लगाया जाए और प्रत्येक पशु के लिए अलग सुई और सिरिंज का उपयोग किया जाए। टीकाकरण का पूरा रिकॉर्ड रखना और स्वास्थ्य कार्ड का रख-रखाव करना भविष्य में ट्रैकिंग और उपचार के लिए बेहद उपयोगी साबित होता है। भारत अगर पशु स्वास्थ्य और प्रबंधन के इन बुनियादी पहलुओं पर ध्यान देता है, तो केवल उत्पादन में ही नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार में भी एक मजबूत स्थान बना सकता है।