नई दिल्ली: अलसी एक प्राचीन फसल है, जिसका उपयोग भोजन, तेल, फाइबर और दवा के रूप में किया जाता है। अलसी का वैज्ञानिक नाम Linum usitatissimum है, जो लातिन भाषा में ‘सबसे उपयोगी लिनन’ का अर्थ है। अलसी की खेती विश्व के कई हिस्सों में की जाती है, लेकिन इसके मुख्य उत्पादक रूस, कनाडा, चीन, अर्जेंटीना और भारत हैं।
अलसी की खेती करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:
बीज का चयन: अलसी के बीजों का चयन करते समय, उनकी गुणवत्ता, विशिष्टता, रोग प्रतिरोधीता और उपज के आधार पर करना चाहिए। अलसी के दो प्रकार के बीज होते हैं: तेल वाले और फाइबर वाले। तेल वाले बीजों का उपयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है, जबकि फाइबर वाले बीजों का उपयोग रेशा उत्पादन के लिए किया जाता है। तेल वाले बीजों का रंग भूरा होता है, जबकि फाइबर वाले बीजों का रंग सफेद होता है।
जमीन की तैयारी: अलसी की खेती के लिए, जमीन को अच्छी तरह से जोतना, बारीक करना, खाद डालना और समतल करना चाहिए। अलसी को गर्म और नमी वाली जमीन पसंद होती है, जिसमें pH 6 से 7 के बीच हो। अलसी को अन्य फसलों के बाद या उनके साथ बुवाई जा सकती है, जैसे गेहूं, जौ, मक्का, चना, सरसों आदि। अलसी को अप्रैल से मई के महीने में बुवाई की जाती है।
बुवाई और सिंचाई: अलसी के बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई में और 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बुवाई जाती है। बुवाई के बाद, जमीन को हल्का सा दबाना चाहिए, ताकि बीजों को जमीन से अच्छी तरह से संपर्क हो। अलसी को नियमित रूप से सिंचाई करनी चाहिए, खासकर बुवाई के बाद और फूलने के दौरान। अलसी को अतिरिक्त पानी से बचाना चाहिए, क्योंकि यह जड़ों को सड़ने और रोगों को फैलने का कारण बन सकता है।
खाद और कीटनाशक: अलसी को उचित मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद देना चाहिए, जो इसकी वृद्धि और उत्पादन को बढ़ाएं। अलसी को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अलसी को विभिन्न प्रकार के कीटों, फफूंदों, वायरसों और बैक्टीरिया से बचाने के लिए, उचित समय पर कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए। अलसी के कुछ सामान्य रोग हैं: अलसी का बुड़ापा, अलसी का फूल, अलसी का बैक्टीरियल ब्लाइट, अलसी का विल्ट, अलसी का रस्सी रोग, अलसी का रस्ता रोग, अलसी का लीफ स्पॉट, अलसी का रूस्ट आदि। यदि इस फसल में इन रोगों का प्रकोप दिखे तो यथाशीघ्र निर्देशानुसार इनके रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए।
कटाई और संग्रहण: अलसी की कटाई तब की जाती है, जब इसके फूल गिर जाते हैं और इसके बीजों का रंग भूरा हो जाता है। अलसी की कटाई हाथ से या मशीन से की जा सकती है। अलसी की कटाई के बाद, इसे खेत में ही सुखाने के लिए छोड़ दिया जाता है, जिससे इसके बीज और रेशा अलग हो जाते हैं। अलसी के बीजों को उचित तरीके से धोना, छानना, छिलना और साफ करना चाहिए। अलसी के बीजों को शुष्क, ठंडी और हवादार जगह पर संग्रहित करना चाहिए। अलसी की रेशा को भी शुष्क और साफ जगह पर रखना चाहिए। अलसी की रेशा का उपयोग कपड़े, रस्सी, पेपर और अन्य उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। इस तरह से किसान आलसी की सफल खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।