नई दिल्ली: जई अनाज और चारे की एक महत्वपूर्ण फसल है। इसकी खेती बिल्कुल गेहूं की खेती के समान होती है। जई को विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है। अच्छे जल निकास वाली चिकनी रेतली मिट्टी, जिसमें जैविक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद हों, जई की खेती के लिए उचित मानी जाती है। किसान मित्रों, वेस्टन 11, केंट, OL – 10, अल्जीरियन, और HFO – 114 इत्यादि जई की कुछ प्रसिद्ध किस्में हैं। इनसे आपको बढ़िया पैदावार मिल सकती है।
जई की फसल को बीजों के द्वारा उगाया जाता है। इसकी बिजाई अक्टूबर के आखिर तक ज़रूर कर लेनी चाहिए। जई की बिजाई ज़ीरो टिल्लर मशीन या बिजाई वाली मशीन से की जा सकती है। बिजाई के दौरान प्रति एकड़ में 25 किलोग्राम बीजों का प्रयोग करना चाहिए। फसल की बुआई के दौरान दो पंक्तियों के बीच 25-30 सेंटीमीटर का फासला बरकरार रखना चाहिए।
किसान मित्रों, यदि जई के पौधे सही ढंग से खड़े हों तो नदीनों की रोकथाम की जरूरत नहीं होती है। जई की फसल में नदीन कम पाए जाते हैं। जहाँ तक बात है सिंचाई की तो इसे सिंचाई वाले क्षेत्रों में बिजाई के 25 से 28 दिनों के फासले पर दो बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। बिजाई के 4 से 5 महीने बाद जई पूरी तरह पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इसलिए बेहतर होगा कि दाने झड़ने से बचाने के लिए अप्रैल महीने की शुरूआत में ही आप फसल की कटाई कर लें।