भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार जल संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत राज्यभर में 1 लाख 3 हजार कुओं को रिचार्ज करने का काम किया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य भूजल स्तर को पुनर्जीवित करना और किसानों को गर्मियों में पानी की किल्लत से राहत दिलाना है। अभियान के तहत वर्तमान में 75 हजार से अधिक कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट बनाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। इनमें से खंडवा जिला सबसे आगे है, जहां लक्ष्य से अधिक संख्या में कूप रिचार्ज पिट का निर्माण पहले ही पूरा कर लिया गया है।
भूजल स्तर बढ़ाने की दिशा में बड़ा प्रयास
गर्मी के मौसम में अक्सर कुएं सूख जाते हैं, जिससे खेती और पीने के पानी की समस्या पैदा हो जाती है। लेकिन इस योजना के तहत बनाए जा रहे कूप रिचार्ज पिट से इन कुओं को वर्षा जल से रिचार्ज किया जाएगा। इससे भूजल स्तर में सुधार होगा और किसानों को खेती के लिए सिंचाई के पर्याप्त संसाधन मिल सकेंगे।
क्या होता है कूप रिचार्ज पिट?
कूप रिचार्ज पिट, जिसे डगवेल रिचार्ज भी कहा जाता है, एक विशेष तकनीक से तैयार किया गया जल पुनर्भरण गड्ढा होता है। इसे कुएं से 3 से 6 मीटर दूर तैयार किया जाता है। इसमें लगभग 3 मीटर लंबा, 3 मीटर चौड़ा और 8 मीटर गहरा गड्ढा खोदा जाता है। फिर उसमें पत्थर और मोटी रेत की परतें बिछाई जाती हैं ताकि वर्षा जल को धीरे-धीरे जमीन में रिसने दिया जा सके। गड्ढे में 8 इंच व्यास की पाइप लगाई जाती है, जिसे कुएं से जोड़ा जाता है। पाइप के छोर पर एल्बो फिटिंग और फिर एक और पाइप नीचे की दिशा में लगाया जाता है, जिससे पानी सीधे कुएं के नीचे की जलधारा तक पहुंचे।
किसानों में बढ़ रही जागरूकता
प्रदेश सरकार के अनुसार, किसानों ने इस अभियान को भरपूर समर्थन दिया है। कई गांवों में किसान अपने स्तर पर भी कूप रिचार्ज पिट बनवाने में रुचि ले रहे हैं। इससे पता चलता है कि ग्रामीण समुदाय अब जल संरक्षण को लेकर अधिक जागरूक हो चुका है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ज्ञान अभियान’ और प्रकृति संरक्षण की सोच से भी जोड़ा गया है। मनरेगा योजना के तहत इन कार्यों को क्रियान्वित किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है।
30 जून तक चलेगा अभियान
जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत 30 मार्च को की गई थी, जो अब 30 जून तक चलेगा। इस दौरान राज्यभर में वर्षा जल संग्रह और पुराने जल स्त्रोतों के जीर्णोद्धार पर जोर दिया जा रहा है। अभियान के तहत खेत तालाब, चैक डैम, अमृत सरोवर, कूप रिचार्ज पिट सहित कई जल संरचनाएं तैयार की जा रही हैं।
राज्य सरकार का संदेश
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान केवल सरकार का नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से जुड़ा आंदोलन है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे जल संरक्षण को एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में लें और इस दिशा में हर संभव सहयोग दें। जल गंगा संवर्धन अभियान न केवल मध्यप्रदेश को जल संकट से उबारने की दिशा में कदम है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक समाधान भी प्रदान करता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।