नई दिल्ली: बेहतर फसल उत्पादन व मृदा स्वास्थ्य के लिए संन्तुलित पौध पोषण बहुत आवश्यक है। उचित पौध पोषण के लिए खेत की मिट्टी में उपलब्ध विभिन्न प्रमुख व गौण पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी मिट्टी परीक्षण द्वारा उपलब्ध होती है। मिट्टी परीक्षण के परिणामों के आधार पर किसान मित्र उर्वरको का सन्तुलित मात्रा में उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। खेत की मिट्टी में पौधों की समुचित वृध्दि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्राओं का रासायनिक परीक्षणों द्वारा आकलन करना तथा विभिन्न मृदा विकास की जांच करना मृदा परीक्षण कहलाता है।
मृदा परीक्षण से फसल एवं किस्म के अनुसार पोशक तत्वों की सन्तुलित मात्रा का निर्धारण कर खेत में खाद व उर्वरक की मात्रा तय करने में मदद मिलती है। कई किसान मित्र यह सवाल पूछते हैं कि मृदा परीक्षण क्यों ज़रूरी है? किसान मित्रों, पौधों की समुचित वृध्दि एवं विकास के लिये सर्वमान्य रूप से सोलह पोषक तत्व आवश्यक माने गये हैं। इनमें से कुछ अनिवार्य पोषक तत्व हैं, जैसे – कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम और सल्फर। इन पोषक तत्वों में से प्रथम तीन तत्वों को पौधे आमतौर पर वायु व जल से प्राप्त करते हैं। शेष 13 पोषक तत्वों के लिए ये भूमि पर निर्भर होते हैं। सामान्यत: ये सभी पोषक तत्व भूमि में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं। लेकिन खेत से लगातार फसल लेते रहने के कारण मिट्टी से इन सभी आवश्यक तत्वों का निरन्तर ह्रास हो रहा है। ऐसे में, मृदा परीक्षण के जरिये हमें भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की सही-सही जानकारी मिल जाती है, जिसके बाद उन्हें संतुलित करना आसान हो जाता है।
किसान मित्रों, असन्तुलित पौध पोषण की दशा में फसलों की समुचित वृध्दि नहीं हो पाती है। इससे पौधों के कमजोर होने और उनके रोग-व्याधि व कीट आदि से ग्रसित होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है। इसके परिणामस्वरूप फसल उत्पादन कम हो जाता है। इसके अलावा, आजकल उर्वरक भी काफी महंगे होते जा रहे हैं। ऐसे में खेतों में उर्वरक डालने की सही मात्रा की जानकारी मृदा परीक्षण द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। इससे हमें खेत में पोषक तत्वों की उचित मात्रा के प्रयोग में बहुत मदद मिलती है। ऐसे में उर्वरकों के सार्थक उपयोग व बेहतर फसल उत्पादन के लिए मृदा परीक्षण बहुत ही आवश्यक हो जाता है।