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जानिए, किन क्षेत्रों में अभी भी की जा सकती है ककड़ी की खेती

नई दिल्ली: उत्तर भारत में ककड़ी की बुआई सामान्यतः फरवरी से मार्च के महीने में की जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुआई मार्च से अप्रैल के महीने में की जाती है। जबकि मध्य भारत में ककड़ी की बुआई फरवरी से जून तक तथा दक्षिण भारत में जनवरी से मार्च तक होती है। ककड़ी को मिट्टी की विभिन्न किस्मों में उगाया जा सकता है। अच्छे जल निकास वाली रेतली दोमट व भारी मिट्टी में ककड़ी की खेती अच्छी पैदावार देती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का pH 5.8-7.5 होना चाहिए।

ककड़ी की बिजाई करते समय दो मेंड़ों के बीच 60-90 से.मी. का फासला रखना चाहिए। बीजों को 2.5-4 सैं.मी गहराई में बोने से फसल अच्छी तरह से फैलती है। अगर आप दो बीजों को एक जगह पर बोएंगे तो फसल का अच्छा विकास होगा और आपको अच्छी पैदावार प्राप्त होगी। ककड़ी की बिजाई के दौरान प्रति एकड़ में 1 किलो बीजों का प्रयोग करें। किसान मित्रों आपको बता दें कि ककड़ी के बीजों को बैड या मेंड़ पर सीधे बोया जाता है। पंजाब लॉन्गमेलन 1, कर्नल सेलेक्शन और अर्का शीतल ककड़ी की कुछ की अच्छी किस्में हैं, अगर आप उचित देखभाल करेंगे तो इन किस्मों से आपको काफी अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकती है।

किसान मित्रों, ककड़ी की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की ज़रूरत होती है। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए हैरो से 2-3 बार जोताई करना आवश्यक है। मिट्टी से होने वाली बीमारियों से ककड़ी को बचाने के लिए बैनलेट या बविस्टिन 2.5 ग्राम से प्रति किलो की दर से बीजों को ज़रूर उपचरित करें। एक और बात का ध्यान रखें कि बिजाई के बाद तुरंत खेत की सिंचाई करना आवश्यक है। गर्मियों में 4-5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है और बारिश के मौसम में सिंचाई आवश्कयकता अनुसार करें। किसान मित्रों, ककड़ी की कटाई बीजों के किस्म पर निर्भर करती है। लेकिन कटाई की शुरुआत तब करें फल नर्म हों और पूरी तरह विकसित हो जाएँ।

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