नई दिल्ली: आज भी अधिकांश किसान रासायनिक कृषि कर रहे हैं। ऐसे किसान फसल उत्पादन में यूरिया का प्रमुख उर्वरक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। इन्हे बाजार से सूखी यूरिया प्रति बोरी के हिसाब से खरीदनी होती है, जो काफी महंगी होती है। हालाँकि, सरकार की ओर से इस पर सब्सिडी दी जाती है लेकिन उसके बाद भी किसानों को यूरिया खरीदने पर काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इसका प्रभाव फसल की लागत पर पड़ता है। ऐसे किसानों के लिए इफको की तरफ से एक अच्छी खबर आई है।
जी हाँ, इफको ने किसानों के लिए दुनिया का पहला लिक्विड नैनो यूरिया पेश किया है। फसल की लागत को कम करने और किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड यानी इफको ने एक ऐसा तरल यूरिया तैयार किया है, जिसकी आधा लीटर की बोतल यूरिया की एक बोरी के बराबर काम करेगी और खर्चा भी उससे काफी कम आएगा।
इफको की ओर से यह कहा गया है कि, “नैनो यूरिया से फसलों की पैदावार बढ़ेगी, जिससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो सकेगी। अब एक बोरी यूरिया खाद की जगह आधे लीटर की नैनो यूरिया की बोतल किसानों के लिए काफी होगी। इस नैनो यूरिया को स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के जरिये तैयार किया गया है। इसके इस्तेफमाल से फसल में पोषक तत्वों की गुणवत्ता में सुधार होता है। साथ ही, नैनो यूरिया भूजल की गुणवत्ता सुधारने और जलवायु परिवर्तन पर अच्छा प्रभाव डालता है।”
इफको नैनो यूरिया लिक्विड की 500 मिली लीटर की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग के बराबर होगी। इसका आकार छोटा होने के कारण इसे जेब में रखकर लाया जा सकेगा। इससे यूरिया की बोरियां लाने में होने वाले खर्च की भी बचत होगी। इफको नैनो लिक्विड यूरिया को सामान्य यूरिया के इस्तेामाल में 50 फीसदी तक कमी लाने के लिए बनाया गया है। इसकी एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन मौजूद है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व उपलब्धी कराता है। इफको के इस नैनो यूरिया का उत्पादन इसी महीने से शुरू हो जाएगा। इसके बाद जल्द से जल्द इसे बाजार में उतारा जाएगा।
नैनो यूरिया की बोतल किसानों के लिए यूरिया की बोरी के मुकाबले काफी सस्ती है। इफको ने नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत 240 रुपये तय की है, जो यूरिया की एक बोरी से 10 प्रतिशत सस्ती है। जून महीने के बाद नैनो यूरिया को इफको के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म www.iffcobazar.in.के अलावा सहकारी बिक्री केंद्रों के जरिये किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।