राँची: झारखंड सरकार राज्य के किसानों के हित में एक विशेष योजना पर काम कर रही है। इससे आने वाले समय में किसान न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि उत्पादन बढ़ने से उनकी आमदनी भी बढ़ेगी। बताया जा रहा है कि इसके लिए 2017 में टी नंदकुमार समिति द्वारा सौंपे गए तीन वर्षों की समेकित कार्य योजना की रिपोर्ट को आधार बनाया जाएगा।
सरकार की योजना के अनुसार राज्य के किसानों को एक ओर जहाँ जैविक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा वहीं दूसरी ओर, रासायनिक खादों के प्रयोग को कम करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। किसान जैविक खाद का आधिक से अधिक इस्तेमाल करें इसके लिए भी योजना बनाई जाएगी।
कृषि विभाग ने सभी जिलों से उनके स्तर से पांच वर्षों के एक्शन प्लान की मांग की है, ताकि सभी जिलों के सुझावों की समीक्षा कर नया प्लान बनाया जा सके। हालाँकि, कुछ जिलों ने विभाग को अपने पांच वर्ष का एक्शन प्लान भेजकर इसकी शुरुआत भी कर दी है।
राज्य सरकार कृषि क्षेत्र में विस्तार के लिए भी रणनीति तैयार करेगी। इसके लिए कृषि विभाग दूसरे राज्यों की कृषि नीति का अध्ययन कर रहा है। इस दिशा में छत्तीसगढ़, पंजाब और तमिलनाडु आदि राज्यों में अपनाई गई तकनीक व उत्पादन विधि का अध्ययन किया जा रहा है। इसके जरिये यह देखा जा रहा है कि उन राज्यों में किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए किस तरह से योजना बनाई गई है।
गौरतलब है कि टी नंदकुमार समिति की जिस रिपोर्ट को आधार बनाकर राज्य के किसानों के विकास की योजना बनाई जा रही है, उसे सरकार को फरवरी 2017 में सौंपा गया था। इसमें मौजूदा संसाधनों के जरिये अधिक से अधिक परिणाम प्राप्त करने पर जोर दिया गया था। यही नहीं, इस रिपोर्ट में उन उपायों का भी जिक्र किया गया था जिनके जरिये किसानों की आय दोगुनी की जा सके।
संसाधनों के अधिकतम उपयोग व किसानों की आय में बढ़ोतरी के अलावा उस रिपोर्ट में सिंचाई क्षमता के विस्तार पर भी जोर दिया गया था। टी नंदकुमार समिति ने 2020 तक सिंचाई क्षमता का विस्तार आठ लाख हेक्टेयर तक करने का सुझाव दिया था। समिति ने 2019 तक सभी किसानों को मृदा कार्ड देने, 2018 तक सभी गोदामों और कोल्ड स्टोरेज के लिए नीति का निर्धारण करने और 2020 तक चार लाख हेक्टेयर खाली पड़ी भूमि को कृषि योग्य बनाने का भी सुझाव दिया था।