राँची: झारखंड में लगातार सूखे की संभावना प्रबल हो रही है। इस स्थिति पर कृषि विभाग लगातार नजर रखे हुए है। इस संबंध में किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा लगातार बैठक और स्थिति की समीक्षा की जा रही है। इस दिशा में झारखंड के कृषि निदेशक निशा उरांव ने झारखंड के संयुक्त सचिव के साथ बैठक की। इस बैठक में राज्य में खेती की स्थिति और सूखे के हालात पर चर्चा की गई। साथ ही राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने को लेकर विचार विमर्श भी किया गया।
बैठक मे हुई चर्चा के मुताबिक राज्य में 15 अगस्त तक कितने क्षेत्रफल में खरीफ फसलों की बुवाई या रोपाई की जाती है, उसका आंकड़ा तैयार करने का निर्देश दिया गया है। कृषि विभाग द्वारा 15 अगस्त तक किए गए रोपाई और बुवाई का आंकड़ा जमा किए जाने के बाद जिन जिलों में 15 अगस्त तक 33 फीसदी से कम क्षेत्र में धान की बुवाई या रोपाई हुई होगी, उन जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है।
राज्य की कृषि निदेशक निशा उरांव ने राज्य में सूखे की संभावित स्थिति के बारे में बताया कि, “सूखा घोषित करने के लिए तय किए गए नियमों के मुताबिक, जुलाई अंत तक कितनी बारिश हुई है, इसके आकंड़े जमा होने चाहिए। इस पर काम हो रहा है। राज्य के लगभग 15 जिले ऐसे हैं जहां पर सामान्य से 50 फीसदी से कम बारिश दर्ज की गई है। इनमें बारिश के दिन और सूखे के दिन कितने हैं इसका भी डाटा तैयार किया जा रहा है।”
उपरोक्त मानकों के अलावा इन जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए तीन और मानदंडों की जांच की जाएगी। मसलन – संबंधित जिलों में कितने दिन बारिश हुई और कितना दिन सूखा रहा, इसका आंकड़ा सिंचाई विभाग द्वारा तैयार किया जाएगा, साथ ही संबंधित जिलों के मिट्टी की नमी की जांच की जाएगी, सूखाग्रस्त घोषण करने के लिए जिलों की रिमोट सेंसिग भी कराई जाएगी। इसके बाद संबंधित जिले को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जाएगा। अब इसे लेकर अगली बैठक 18 अगस्त को आयोजित की जाएगी। इस दिन कुछ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने की संभावना है। आपको बता दें कि मॉनसून सत्र के दौरान झारखंड विधानसभा में राज्य को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने जम कर हंगामा किया था। इस दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने झारखंड में बन रही सूखे की संभावित स्थिति का ब्योरा भी दिया था।