कृषि पिटारा

झारखंड: सूखे से प्रभावित किसानों के हित में सरकार उठा रही है ये कदम

राँची: झारखंड में इस बार मॉनसून ने अधिकांश किसानों को निराश ही किया है। प्रदेश के काफी जिलों में इस बार सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है। जो किसान मुख्य रूप से धान की खेती करते हैं, उनके सामने इस वजह से एक बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गयी है। धान एक ऐसी फसल है जिसके अच्छे विकास के लिए काफी पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में किसानों के पास मॉनसून पर मुख्य रूप से निर्भर रहने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होता है। दूसरी स्थिति में धान की खेती करने वाले किसान अगर सिंचाई करके पानी की आवश्यकता को पूरा करने लगें तो फिर फसल की लागत में काफी बढ़ोतरी हो जाती है। या यूं कह लें कि इससे लागत और मुनाफे का फर्क इतना कम हो जाता है कि धान की खेती फिर फायदे का सौदा नहीं रह जाती है।

झारखंड सरकार कम बारिश की वजह से किसानों के सामने उपन्न हुई समस्या को समझते हुए उनके हित में राहत के कुछ उपाय कर रही है। इसी दिशा में राज्य सरकार और कृषि विभाग की तरफ से ये प्रयास किए जा रहे हैं कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसानों और मजदूरों को काम की तलाश में राज्य या जिले से बाहर पलायन नहीं करना पड़े। इसके लिए राज्य में सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक को संबोधित करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किसानों और मजदूरों को आश्वस्त करते हुए कहा कि किसानों को सूखे के कारण किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि विभाग पशुपालकों, मजदूरों और किसानों को राहत देने के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करें ताकि सूखाड़ जैसी गंभीर समस्या से लड़ने में किसानों को मदद मिल सके।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार की तलाश में लोग बाहर पलायन नहीं करें इसके लिए गांवों में कच्ची सड़क का निर्माण, तालाब और चेक डैम का निर्माण कराया जाए। इससे किसानों और मजदूरों को राहत मिलेगी। उन्होंने अधिकारियों को संताल भी और पलामू प्रमंडल के गांवों में पेयजल की स्थिति की समीक्षा करने के लिए भी कहा है।  बैठक में अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि राज्य में 131 प्रखंड मध्यम और 112 प्रखंड गंभीर सूखे की चपेट में हैं। गौरतलब है कि सरकार की ओर से कृषि, पशुपालन, सिंचाई, ग्रामीण विकास, मनरेगा सहित अन्य विभागों को विस्तृत योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि मजदूरों और किसानों को लाभ दिया जा सके। समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से विभिन्न प्रखंडों में सूखे की स्थिति का जायजा भी लिया, साथ ही विभिन्न जिलों के प्रखंडों में फसल की रोपाई की स्थिति की जानकारी हासिल की। मुख्यमंत्री ने सूखे की स्थिति को देखते हुए मिट्टी से जुड़े कच्चे कार्यों को शुरू करने का निर्देश दिया है। यही नहीं, बारिश की कमी के काराण पैदा हुए हालात से निपटने के लिए कृषि विभाग द्वारा झारखंड फसल राहत योजना भी चलाई जा रही है। इसके तहत किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा।

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