कृषि पिटारा

कम बारिश की वजह से खरीफ फसलों को हुए नुकसान की झारखंड सरकार करेगी भरपाई

राँची: झारखंड सरकार ने राज्य में कम बारिश की वजह से खरीफ फसलों को हुए नुकसान की भरपाई करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने फसल राहत योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा। इस साल अब तक राज्य में 58 फीसदी बारिश हुई है, जो सामान्य बारिश से काफी कम है। इस वजह से किसान अभी तक धान की बुआई नहीं कर पाए हैं। जबकि धान की बुआई का सामान्य समय भी बीत चुका है। क्योंकि झारखंड में धान की रोपाई का उपयुक्त समय 15 जून से 15 जुलाई तक माना गया है।

जिन किसानों ने धान की रोपाई के लिए बिचड़ा तैयार किया था वो भी अब सूखने लगे हैं। इससे भी किसानों को नुकसान हुआ है।  अब तक खेतों में लगभग 65 फीसदी तक बिचड़ा डाला जा चुका था। इस स्थिति को देखते हुए कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने राज्य के सभी जिलों के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की है। इस समीक्षा बैठक में सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वो वैकल्पिक फसल योजना तैयार रखें। राज्य के किसानों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है।

सभी जिलों के उपायुक्तों से कहा गया है कि वो एक सप्ताह के अंदर जिला समन्वय समिति की बैठक का आयोजन करें। साथ ही किसानों के बीच फसल राहत योजना के प्रचार-प्रसार के जरिए किसानों को जागरूक किया जाए। जिन जिलों में किसान सूखे से अधिक प्रभावित हो सकते हैं, उन क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए उच्च स्तरीय कमिटि का गठन किया गया है, जो पूरे इलाके का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

कृषि मंत्री ने कहा है कि प्रखंड एवं जिला स्तर पर समन्वय समिति का गठन किया गया है। साथ ही राज्य में 20,000 कॉमन सर्विस सेंटर एवं प्रज्ञा केंद्रों में किसान अपना निबंधन करा सकते हैं। इसके अलावा किसान स्वयं भी आवेदन कर सकते हैं। फसल राहत योजना के तहत किसानों को डीबीटी के माध्यम से राज्य सरकार की तरफ से 20 हजार रुपए तक का सहयोग दिया जाएगा। जिन किसानों को किसान क्रे़डिट कार्ड का लाभ नहीं मिला है उन्हें कैंप लगाकर योजना का लाभ दिया जाएगा। इसकी पूरी मॉनिटरिंग रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव प्रतिनिधि करेंगे। इसके अलावा अगर राज्य में सूखाड़ की स्थिति बनती है तो केंद्र से संपर्क किया जाएगा। यही नहीं समय रहते वैकल्पिक तैयारी शुरू करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग से भी संपर्क किया जा रहा है।

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