राँची: झारखंड सरकार राज्य की बाजार समितियों को अपनी देखरेख में खुद से चलाने की तैयारी कर रही है। इस संबंध में कृषि विभाग ने प्रस्ताव बनाना शुरू कर दिया है। योजना के अनुसार राज्य में मौजूद 28 बाजार समितियों में सरकारी प्रतिनिधि नियुक्त किए जाएंगे।
ये प्रतिनिधि बंद पड़ी मंडियों से टैक्स की वसूली कर सरकारी खजाने में जमा करेंगे। बताते चलें कि, पिछली सरकार ने बाजार समिति टैक्स में हो रहे घोटालों के मद्देनजर इस टैक्स की वसूली पर रोक लगा दी थी।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा है कि, “सभी पुरानी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म की जाएगी। बाजार समिति से टैक्स लेने का काम फिर से शुरू किया जाएगा। टैक्स की जो राशि सरकार के पास आएगी वह बाजार समिति व किसानों के कल्याण कार्य में खर्च की जाएगी। बाजार समितियों को दुरुस्त किया जाएगा ताकि किसानों को सीधे इन समितियों से लाभ मिल सके।”
सरकार की इस पहल का बाजार समिति ने स्वागत किया है। बाजार समिति की ओर से यह कहा गया है कि अगर सरकार टैक्स अपने पास रखती है तो इससे उन्हें काफी लाभ होगा। मसलन, इससे बाजार समिति का विकास हो सकेगा और किसानों को भी लाभ मिलेगा।
लेकिन, इसके लिए सरकार को पहले जर्जर स्थिति में पड़े दर्जन भर बाजार समितियों को ठीक कराना होगा। समिति की कई दुकानों में फिलहाल आर्मी को ठहराया गया है, उन्हें खाली करवाना होगा।
आपको बता दें कि, राज्य सरकार बाजार समिति से टैक्स वसूलने की व्यवस्था लागू करने से पहले दूसरे राज्यों के मॉडल का भी अध्ययन कर रही है। इसके लिए विशेष रूप से गुजरात में टैक्स वसूली के मॉडल का बारीकी से विश्लेषण किया जा रहा है। इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि बाजार समिति से टैक्स वसूली के लिए सरकार की ओर से गुजरात के मॉडल को ही अपनाने पर स्वीकृति मिलेगी।
जहाँ तक सवाल है टैक्स वसूली की दर का तो यह पिछली सरकार द्वारा तय एक प्रतिशत ही होगा। यह टैक्स बाजार समिति में आने वाले किसी भी मालवाहक से उसके कुल उत्पाद के मूल्य पर वसूला जाएगा।