नई दिल्ली: काला नमक धान की खेती सामान्य प्रकार के धान की खेती जैसी ही होती है। मसलन पहले इस धान की बिजाई की जाती है, फिर बिजाई के बाद जब पौध 20 से 30 दिन की हो जाती है तो इसे उखाड़ कर रोपाई की जाती है। रोपाई करते समय कतार से कतार के बीच 20 सेमी की दूरी और पौधे से पौधे के बीच 15 सेमी की दूरी बरकरार रखना आवश्यक होता है। इस दौरान यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एक स्थान पर 2 से 3 पौध ही लगाई जा रही हो।
काला नमक धान की बौनी प्रजातियों के लिए 120 ग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटास की आवश्यक्ता होती है। फास्फोरस एवं पोटास की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा रोपाई से पहले मिलाकर खेत में ड़ालनी चाहिए। रोपाई के एक महीने पश्चात खर-पतवार नियन्त्रण के बाद बची हुई 60 किलोग्राम नत्रजन की मात्रा ऊपर से छिड़काव करके ड़ालनी चाहिए।
काला नमक धान की किरण किस्म में कई प्रमुख कीटों और बीमारियों से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। इसलिए इस किस्म के लिए किसी भी रासायनिक दवा का उपयोग नही करना पड़ता है। हाँ, अगर फसल में गन्धी कीट, सीथ ब्लाइट या पर्ण गलन रोग के लक्षण दिखाई दें तो इनसे बचाव के लिए दवाओं का उपयोग करना पड़ता है। गन्धी कीट का उपचार बीएचसी का बूरकाव करके किया जा सकता है। जबकि पर्ण गलन रोग के उपचार के तौर पर आप 0.2 प्रतिशत हैक्साकोनाजोल या 1 लीटर प्रोपीकोनाजोल 25 ईसी का छिड़काव कर सकते हैं। अगर फसल में जस्तें की कमी के लक्षण दिखाई दें तो 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 2.5 किलोग्राम चूने को 500 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़क दें। इससे इस कमी की भरपाई हो जाएगी।
आम तौर पर 50 प्रतिशत बाली निकलने के 30 दिन बाद सामान्य धान की फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन, काला नमक किरण को 40 से 45 दिन लगते हैं। अगर आप फसल कटाई हाथों से करने वाले हैं तो कटाई के 3 दिन के अन्दर ही फसल की पिटाई करके अनाज को पौधों से अलग कर लें। फिर उसे 3 से 4 दिन तक धूप में अच्छी तरह सुखाकर सुरक्षित तरीके से भंडारण करें।