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कम लागत में ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो करें अदरक की खेती

नई दिल्ली: आजकल किसानों को अदरक की खेती से काफी अच्छा मुनाफा मिल रहा है। क्योंकि अदरक की खेती काफी कम खर्च में अधिक पैदावार देती है। साथ ही साथ किसानों को इसका अच्छा भाव भी मिलता है। लेकिन इसके लिए यह ज़रूरी है कि अदरक की खेती को वैज्ञानिक तरीके से की जाए। अदरक की मुख्य रूप से तीन किस्में होती हैं। ये हैं – सुप्रभात, सुरूचि और सुरभी। ये किस्में पैदावार के लिहाज से काफी अच्छी मानी जाती हैं।

यदि आप अदरक की खेती से ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो इसके लिए उचित जल निकास वाली दोमट भूमि का चुनाव करें। इसके अलावा मृदा निर्माण से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें। साथ ही मिट्टी को खरपतवार रहित रखने और मिट्टी को नरम बनाए रखने के लिए समय-समय खेत की जुताई करें। अदरक की खेती ऐसी जगह पर बेहतर मुनाफा देती है जहाँ समय-समय पर 50 से 60 सेंटीमीटर तक वार्षिक वर्षा होती है।

अदरक की फसल के लिए बीज कंदों को बोने से पहले 0.25 प्रतिशत इथेन, 45 प्रतिशत एम और 0.1 प्रतिशत बाविस्टोन के मिश्रण के घोल में लगभग एक घंटे तक डुबों कर रखें। फिर इसे दो से तीन दिन तक छाया में ही सूखने दें। जब ये बीज अच्छे तरह से सूख जाए तब करीब 3 से 4 सेंटीमीटर गहरे गड्डे में उनकी बुआई करें। बीज को बोते समय कतार से कतार की दूरी कम से कम 25 से 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 15 से 20 सेंटीमीटर बरकरार रखें।

बीज की बुवाई के तुंरत बाद ही उनके ऊपर घास-फूस, पत्तियों और गोबर की खाद डालकर अच्छे से ढंक दें। इससे मिट्टी के अंदर लंबे समय तक नमी बनी रहेगी। आप खेत में गोबर की खाद 20 से 25 टन, नाइट्रोजन 100 किलोग्राम, 75 किलोग्राम फास्फेरस और 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पोटाश भी डाल सकते हैं।

अदरक की खेती में बराबर नमी का बनाए रखना काफी जरूरी है। इसीलिए बुआई के बाद खेत की पहली सिंचाई बुआई के तुंरत बाद कर लें। अगर आप अदरक की खेती के लिए सिंचाई की बेहतर तकनीकों में टपक पद्धति या ड्रिप एरिगेशन का प्रयोग करेंगे तो इसके काफी अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।

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