कृषि पिटारा

शकरकंद की खेती के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

शकरकंद (Sweet Potato) एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है, जो दुनिया के विभिन्न भागों में खाया जाता है। शकरकंद की खेती विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय और उपजाऊ भूमि में की जाती है। यह कई देशों में उगाया जाता है। लेकिन दक्षिणी और पूर्वी एशिया, अफ्रीका, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

शकरकंद की खेती के लिए वैसी मिट्टी की आवश्यकता होती है, जो मानसूनी क्षेत्रों और नमीपूर्ण जलवायु के लिए उपयुक्त होती है। शकरकंद को उगाने के लिए सबसे अच्छा समय उष्णकटिबंधीय मौसम होता है, जब भूमि का तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस रहता है। यह बीजों द्वारा प्रजनन या छोटे पौधों के संग्रह के माध्यम से विकसित होता है।

शकरकंद की खेती के लिए उचित तकनीकी प्रबंधन और उचित प्रक्रियाएं आवश्यक होती हैं। यह निम्नलिखित चरणों के माध्यम से की जाती है:

1. जमीन की तैयारी: शकरकंद के लिए आदर्श मिट्टी नमीपूर्ण, गाढ़ी और अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए। खेत की तैयारी के दौरान भूमि की अच्छी तरह से जुताई करें और पोषक तत्वों को मिलाएं।

2. बीजों की बुवाई: शकरकंद के बीजों की ध्यान से बुआई की जानी चाहिए। बीजों के बीच दूरी इस बात को काफी हद तक निर्धारित करती है कि आने वाले समय में पौधों का विकास कैसा होगा।

3. पानी प्रबंधन: शकरकंद उगाने के लिए नियमित और समान रूप से सिंचाई की जरूरत होती है।खेत की सिंचाई के लिए स्थानीय सिंचाई प्रणाली और बारिश का उपयोग किया जा सकता है।

4. उपयुक्त खाद: शकरकंद की खेती में उपयुक्त खादों का प्रयोग करना महत्वपूर्ण होता है। यानी खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की अच्छी मात्रा होनी चाहिए।

5. कीटनाशक और रोगनिरोधक उपचार: शकरकंद पर असरदार कीटनाशकों और रोगनिरोधकों का उपयोग किया जाता है ताकि उत्पादन में कटौती की संभावना कम हो।

शकरकंद का उत्पादन मुख्य रूप से खेत और बगीचे में किया जाता है। यह फसल अधिकांश देशों में स्थानीय खाद्य पदार्थ के रूप में खाया जाता है और इसके उपयोग स्वादिष्ट और पौष्टिक पकवानों की तैयारी में भी होता है। शकरकंद का उत्पादन मध्यम से बड़े स्तर पर भी किया जाता है। आज के समय में यह आर्थिक रूप से एक महत्वपूर्ण फसल बन चुका है। साथ ही, शकरकंद को आर्थिक और पोषण सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पौष्टिकता और प्रोटीन का एक अच्छा स्त्रोत होता है। इसमें विटामिन A, विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन ई, पोटैशियम, फोस्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन आदि महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से संयमित रक्तचाप को बनाए रखने, सांस की समस्याओं को कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलती है।

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