अदरक एक औषधीय फसल है, जिसका इस्तेमाल खाने के साथ-साथ दवाइयां बनाने में भी किया जाता है। यह पूरे साल बाजार में असानी से उपलब्ध होता है, लेकिन मौसम के हिसाब से इसका भाव ऊपर-नीचे होते रहता है। हालांकि, अभी अदरक ने महंगाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसकी कीमत 250 से 300 रुपये किलो के बीच पहुंच गई है, जबकि इसका भाव आमतौर पर 100 से 120 रुपये प्रति किलो के आसपास रहता है। इसके कारण कई बड़े किसान, जो व्यावसायिक तौर पर अदरक की खेती करते हैं, इसकी बिक्री कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं।
अदरक की बुवाई अप्रैल से मई महीने के दौरान की जाती है। ज्यादातर किसान इन्हीं दो महीनों में अदरक की खेती करते हैं। लेकिन अब मानसून की दस्तक के बाद भी इसकी बुवाई की जाने लगी है। यदि आप चाहें तो जुलाई और अगस्त महीने के दौरान भी इसकी बुवाई कर सकते हैं। इसलिए अदरक की खेती करने वाले किसानों को इसकी बुवाई से पहले कुछ बेहतरीन किस्मों के बारे में ज़रूर जान लेना चाहिए। खरीफ सीजन में वैज्ञानिक विधि से इन किस्मों की खेती करने से अच्छी आमदनी की संभावना बढ़ती है। ये किस्में हैं:
अथिरा: अथिरा अदरक की एक बेहतरीन किस्म है। इसकी बुवाई करने के बाद यह 220 से 240 दिनों में तैयार हो जाती है। एक एकड़ में अथिरा किस्म की खेती करने पर 84 से 92 क्विंटल तक अदरक की पैदावार प्राप्त हो सकती है। इससे करीब 22.6 फीसदी सूखी अदरक, 3.4 फीसदी कच्चे रेशे और 3.1 फीसदी तेल की मात्रा प्राप्त होती है। ज्यादातर किसान इसी किस्म की खेती करते हैं।
सुप्रभा: सुप्रभा किस्म का छिलका सफेद और चमकीला होता है। यह कम समय में तैयार होनी वाली किस्म है। इसकी बुवाई करने पर आप 225 से 230 दिनों में उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इसमें प्रकंद विगलन रोग नहीं लगता है, कयोंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक पाई जाती है। सुप्रभा की पैदावार 80 से 92 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, जो खेती करने वाले किसानों के लिए बेहद लाभदायक होती है।
सुरुची: सुरुची किस्म एक तरह की अगेती किस्म है और इसकी बुवाई करने के 200 से 220 दिन के अंदर तैयार हो जाती है। सुरुची अदरक की पैदावार 4.8 टन प्रति एकड़ होती है, जो उचित प्रबंधन और देखभाल के साथ खेती करने पर किसानों को बड़े लाभ प्रदान करती है।
नदिया: नदिया किस्म की खेती सबसे अधिक उत्तर भारत के किसान करते हैं। इसकी फसल को तैयार होने में बहुत समय लगता है, और इसकी बुवाई करने के लिए 8 से 9 महीने लगते हैं। इसकी खेती थोड़ी मुश्किल होती है, लेकिन इसकी पैदावार 80 से 100 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, जो उचित देखभाल के साथ खेती करने पर किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित होती है।
इन किस्मों के चयन से आप अदरक की उत्पादन दर को बढ़ा सकते हैं और उचित देखभाल के साथ उचित समय पर उत्पादन कर सकते हैं। उचित जलवायु और मिट्टी के साथ सम्बंधित देखभाल, उत्तर-दक्षिण भारत में अदरक की खेती के लिए उपयुक्त है।
अगर आप अदरक की खेती कर बढ़िया पैदावार प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जैसे:
जलवायु और मिट्टी का चयन: अदरक की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है, जिसमें जल निकास की उत्तम व्यवस्था हो। साथ भूमि का पीएच मान 6-7 हो। अदरक की खेती के लिए शीतल जलवायु उचित होती है।
बुवाई का समय: अदरक की बुवाई अप्रैल से मई के दौरान करनी चाहिए, जब मौसम अपेक्षाकृत शुष्क और ठंडा होता है। लेकिन अदरक की कुछ क़िस्मों की खेती जुलाई से अगस्त महीने के दौरान भी की जा सकती है।
पौधों का इंटरकल्चर: अदरक की पैदावार को बढ़ाने के लिए पौधों के इंटरकल्चरिंग की प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता है।
उत्पादन देखभाल: किसी भी खेती के दौरान पौधों की देखभाल विशेष महत्वपूर्ण होती है। उचित जलावृद्धि, कीटनाशक और रोगनाशक का उपयोग करके पौधों को सुरक्षित रखना आवश्यक है। पौधों को सुरक्षित रखने के लिए खेती के दौरान प्रतिदिन निगरानी आवश्यक है। फसल के सभी पौधों को विनाशकारी कीटनाशकों से बचाने के लिए नियमित जांच करें और जरूरत अनुसार उपाय करें। फसल को रोगों से बचाने के लिए आप उचित रोगनाशकों का उपयोग कर सकते हैं। विशेष रूप से उचित समय पर खेती करने, उचित जलावृद्धि करने और पौधों की निगरानी करने से उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।
अदरक का उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष तकनीकें भी अपनाई जा सकती हैं। आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करके स्थानीय फसलों को विकसित किया जा सकता है। उचित बीज से बुवाई करने, समय-समय पर उचित खेती प्रवंधन करके, उचित पानी प्रबंधन करके और उचित खेती के लिए उपयुक्त समय का चयन करके किसान अदरक के उत्पादन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। उचित खेती के लिए उचित बीज चयन करना महत्वपूर्ण है। सरकारी कृषि विभाग और कृषि विशेषज्ञों के सलाह के आधार पर उचित बीजों का चयन करें। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार विशेषज्ञों से परामर्श लें।