नई दिल्ली: केला भारत की एक महत्वपूर्ण फल वाली फसल है। भारत विश्व भर में केला उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर है जबकि हमारे देश में महाराष्ट्र केले की उत्पादकता के मामले में सर्वोच्च स्थान पर है। हमारे देश में केले का उत्पादन करने वाले अन्य प्रमुख राज्य कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और आसाम हैं।
किसान मित्रों, केले की फसल पर कई प्रकार के हानिकारक कीटों का अक्सर हमला होता है, जिनपर समय रहते नियंत्रण करना बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि देर हो जाने पर कई बार रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है और फल की उत्पादकता में भारी कमी देखने को मिलती है।
केले के पौधों पर फल की भुंडी अक्सर हमला करती है। यदि केले पर फल की भुंडी का हमला दिखे तो तने के चारों तरफ मिट्टी में कार्बरील 10-20 ग्राम प्रति पौधे में डालें। इससे शीघ्र ही इस कीट के प्रकोप पर रोक लगेगी।
इसके अलावा केले की फसल को राइज़ोम की भुंडी भी काफी नुकसान पहुंचाती है। इसकी रोकथाम के लिए सूखे हुए पत्तों को निकाल दें और बाग को साफ रखें। साथ ही रोपाई से पहले केस्टर केक 250 ग्राम या कार्बरील 50 ग्राम या फिर फोरेट 10 ग्राम प्रति गड्ढे में डालें।
केले का चेपा भी उन्हीं कीटों में से एक है जो केले की फसल पर अक्सर हमला करते रहते हैं। यदि फसल पर इस कीट का हमला दिखे तो फौरन मिथाइल डेमेटन 2 मि.ली या डाइमैथोएट 30 ई सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें।
केले की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला एक अन्य प्रमुख कीट है – थ्रिप्स। इसकी रोकथाम के लिए मिथाइल डेमेटन 20 ई सी 2 मि.ली. या मोनोक्रोटोफॉस 36 डब्लयु एस सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना काफी फायदेमंद साबित होता है।
किसान मित्रों, निमाटोड या सूत्रकृमि एक ऐसा कीट है जो न केवल केले की फसल को बल्कि कई और फसलों पर अपना स्वरूप बदलकर हमला करता रहता है। यह एक ऐसा कीट है जो केले के पौधों की जड़ों पर हमला करता है। केले की फसल को निमाटोड के हमले से बचाने के लिए कार्बोफ्युरॉन 3 प्रतिशत सी जी, 50 ग्राम से प्रति जड़ का उपचार करें। यदि जड़ का उपचार ना किया गया हो तो रोपाई के एक महीने बाद कार्बोफ्युरॉन 40 ग्राम पौधे के चारों तरफ डालें। इससे निमाटोड के प्रकोप से तुरंत राहत मिलेगी।