नई दिल्ली: केंद्र सरकार गन्ना किसानों के बकाये के ससमय भुगतान के लिए प्रयासरत है। साथ ही चीनी के निर्यात में तेजी लाने व चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने की दिशा में भी सक्रियता दिखा रही है। दरअसल, केंद्र सरकार यह चाह रही है कि सरप्लस चीनी का निर्यात कर कृषि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए चीनी मिलों को वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराया गया है, ताकि वो गन्ना किसानों का उचित समय पर भुगतान कर सकें।
चीनी निर्यात के मामले में सरकार ने पिछले तीन सीजन के मुकाबले वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में बढ़ोतरी का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दौरान चीनी के 60 मीट्रिक टन निर्यात को सुगम बनाने के लिए 6,000 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। इसके पहले तीनों सत्रों में यानी 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमशः लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन, 38 मीट्रिक टन और 59.60 मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया था।
इसी तरह से पिछले 3 चीनी सत्रों में इथेनॉल की बिक्री से लगभग 22,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। जबकि वर्तमान चीनी सत्र में चीनी मिलों द्वारा इथेनॉल की बिक्री कर लगभग 15,000 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे चीनी मिल गन्ना किसानों के बकाये का समय पर भुगतान कर सकेंगे।