नई दिल्ली: केंद्र सरकार राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति का मसौदा तैयार कर रही है। राष्ट्रीय मत्स्य नीति को बहुत जल्द कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। बताया जा रहा है कि इस नीति के तहत सरकार आने वाले पाँच वर्षों में मत्स्य पालन से जुड़े विभिन्न मदों में तकरीबन 45 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने वाली है। इसमें एक्वाकल्चर, मरीन फिशरी और मरीन कल्चर आदि शामिल हैं। आपको बता दें कि, अभी देश में केवल मरीन फिशरी के लिए ही एक निर्धारित नीति मौजूद है।
केंद्र सरकार नई राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति का जो मसौदा तैयार कर रही है उसके अंतर्गत मछली पालन से जुड़े सभी तरह के कारोबार शामिल हो जाएंगे। इसके अंतर्गत असंगठित मछली पालन का कारोबार तो आएगा ही साथ ही साथ मरीन, एक्वाकल्चर और मरीनकल्चर भी शामिल हो जाएंगे। इस राष्ट्रीय नीति के जरिये ट्रेसबिलिटी मुद्दों को सुलझाने में भी काफी सहायता मिलेगी।
आज कल काफी संख्या में खेती से लाभ प्राप्त करने के इच्छुक किसान मछली पालन को अपना रहे हैं। ऐसे किसान पूरी तरह से संगठित कार्ययोजना के तहत मछली पालन के व्यवसाय में लगे हुए हैं। उम्मीद है कि आने वाले समय में राष्ट्रीय मत्स्य पालन नीति से एक व्यवसाय के तौर पर मछली पालन को प्रोत्साहन मिल सकेगा। क्योंकि इससे पहले देश में मतस्य पालन को लेकर केवल एक स्कीम लागू थी, जिसकी समय सीमा 5 वर्ष की होती है। दूसरी तरह मतस्य पालन को लेकर आंशिक तौर पर विश्व बैंक की तरफ से एक फंड जारी किया जाता है, जो कि 8 साल के लिए होता है। ऐसे में पॉलिसी आने से कुछ समस्याओं का निदान हो सकेगा और देश को एक स्थायी मत्स्य पॉलिसी मिल सकेगी।