मौजूदा समय में कीटनाशकों के प्रबंधन को लेकर सरकार के पास कोई कठोर कानून नहीं है।
नई दिल्ली: नकली कीटनाशकों के कारोबार पर लगाम लगाने की दिशा में पहल करते हुए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस मसौदे में कीटनाशक के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग पर जोर दिया गया है। मौजूदा समय में कीटनाशकों के प्रबंधन को लेकर सरकार के पास कोई कठोर कानून नहीं है। साल 1968 में एक कानून बना भी था, जो उतना प्रभावी नहीं माना जाता है। क्योंकि उससे नकली कीटनाशक बनाने वाली कंपनियां आसानी से बच निकलती हैं।
इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने कीटनाशक प्रबंधन को लेकर नए सिरे विधेयक लाने का फैसला किया है। इसके प्रभावी होने के बाद नकली या निम्न गुणवत्ता के कीटनाशकों को बेचना या फिर उनका उत्पादन गैरकानूनी हो जाएगा। जाहीर तौर पर सरकार के इस फैसले से नकली कीटनाशकों के प्रयोग से परेशान किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। कानून का उल्लंघन करने वालों को अब पांच साल तक की जेल और अधिकतम पचास लाख तक का जुर्माना होगा। यही नहीं, गलत कीटनाशक के कारण खेती का या व्यक्ति को कोई नुकसान होता है, तब इसमें उसके लिए मुआवजे की भी व्यवस्था की गई है।
ऐसी उम्मीद है कि कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को संसद के दो मार्च से शुरू हो रहे सत्र में पेश किया जाएगा। नए विधेयक में कीटनाशकों को लेकर दिए जाने वाले विज्ञापनों के लिए भी एक मानक तय किया जाएगा, ताकि किसान भ्रमित न हों। इसके अलावा कीटनाशकों की बिक्री करने वाले डीलरों को उससे जुड़ी पूरी जानकारी रखनी होगी। किसानों को कीटनाशक की बिक्री करते समय उसके इस्तेमाल के बारे बताना जरूरी होगा। साथ ही, किसी भी कीटनाशक को बाजार में उतारने से पहले नए कानून के तहत गठित होने वाले कीटनाशक बोर्ड से उसकी मंजूरी लेनी होगी। सरकार का मानना है कि इस विधेयक के प्रभावी होने से जैविक कीटनाशकों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि, “कैबिनेट ने ये फैसला लिया है कि कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को अगले संसद सत्र में पेश किया जाएगा। इस बिल के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान को कीटनाशक खरीदते समय ये पूरी जानकारी मिले की वह कीटनाशक कैसा है, उसका क्या नुकसान है और क्या फायदा है।”
उन्होने आगे कहा कि, “कीटनाशक के बारे में सारी जानकारी उसे बेचने वाला विक्रेता देगा और कंपनियां उसकी गुणवत्ता सुनिश्चत करेंगी। नए बिल में गलत तरीके से पेस्टिसाइड बिक्री करने पर सजा का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि कृषि रसायनों की कीमतें सस्ती रहें और ये किसानों को आसानी से उपलब्ध भी हो सकें।”
आपको बता दें कि 2008 में भी एक कीटनाशक प्रबंधन विधेयक लाया गया था। लेकिन वह संसद से पारित नहीं हो सका था। उस विधेयक को वापस लेकर और स्थायी समिति की सिफारिशों एवं अन्य सुझावों पर विचार करने के बाद अब एक नए रूप में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 लाया जा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में इससे जैविक कीटनाशक के उपयोग को भी बढ़ावा मिलेगा।