नई दिल्ली: यूपीआई एक ऐसी सुविधा है जिसके जरिये किसी भी बैंक अकाउंट में पैसे भेजने का काम चुटकियों में हो जाता है। यह सबकुछ संभव हो पाया है डिजिटल क्रांति की वजह से। आजकल सरकार भी लोगों को अधिक से अधिक डिजिटल ट्रांजैक्शन अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, लेकिन कई बैंक अब यूपीआई ट्रांजैक्शन पर भी चार्ज वसूलने लगे हैं। इससे जाहिर तौर पर लोग डिजिटल ट्रांजैक्शन करने के प्रति हतोत्साहित होंगे। इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय की ओर से सभी बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि वो यूपीआई करने वाले ग्राहकों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं वसूलें।
केंद्र सरकार ने डिजिटल ट्रांजैक्शन पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट्स यानी एमडीआर शुल्क को समाप्त कर दिया है। यदि कोई बैंक सरकार के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए किसी ग्राहक से डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए कोई शुल्क वसूलता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यही नहीं, अगर किसी ग्राहक का 1 जनवरी 2020 के बाद से किसी भी ट्रांजैक्शन पर एमडीआर चार्ज काटा गया है तो बैंकों को इसे वापस लौटाना होगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस बारे में अभी हाल ही में बैंकों को अवगत कराया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल दिसंबर में ही सभी बैंकों को सूचित कर दिया था कि, 1 जनवरी 2020 से इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिये पेमेंट करने पर एमडीआर सहित कोई भी चार्ज नहीं वसूला जाएगा। फिर भी कुछ बैंक एक तय सीमा से अधिक ट्रांजैक्शन करने के बाद ग्राहकों से इसके लिए शुल्क वसूल रहे थे। इसे देखते हुए वित्त मंत्रालय ने बैंकों को यह स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा करना 30 दिसंबर 2019 के सर्कुलर के खिलाफ है।
आपको बता दें कि इस बाबत इनकम टैक्स इंडिया की ओर से यह कहा गया है कि, अगर किसी बैंक ने 1 जनवरी 2020 से/बाद अगर किसी भी डिजिटल ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट्स वसूला है तो वह वापस किया जाए। सीबीडीटी ने यह भी कहा कि बैंक भविष्य में होने वाले इस तरह के किसी ट्रांजैक्शन पर भी चार्जेज वसूलना बंद करें। गौरतलब है कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह फीस होती है, जो दुकानदार डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या डिजिटल पेमेंट करने पर ग्राहकों से लेता है। आसान भाषा में कहें तो यह डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा पर लगने वाला एक प्रकार का चार्ज है। यह रकम दुकानदार को नहीं मिलती है बल्कि कार्ड से होने वाले हर पेमेंट के लिए दुकानदार को एमडीआर चुकानी होती है।