नई दिल्ली: हरी खाद के कई फायदे हैं। इससे मिट्टी में न केवल नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ती है बल्कि मिट्टी की संरचना में भी काफी सुधार होता है। कुछ विशेष प्रकार के हरे पौधों को जब मिट्टी में दबाया जाता है तो मिट्टी में नत्रजन या जीवांश की मात्रा बढ़ जाती है। इसी क्रिया को हरी खाद देना कहा जाता है। हरी खाद का उपयोग करना काफी आसान है।
हरी खाद को दो प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है। पहली विधि यह है कि जिस खेत में हरी खाद का उपयोग करना है उसी खेत में हरी खाद वाली फसल उगाई जाए। फिर फूल आने से पहले या जब फसल मुलायम अवस्था में हो तब पाटा या रोटोवेटर चलाकर या फिर मिट्टी पलटने वाले हल की सहायता से सम्पूर्ण फसल को मिट्टी में मिलाकर सड़ने के लिए छोड़ दिया जाए। भारत के अधिकांश क्षेत्रों में इसी विधि का उपयोग किया जाता है।
खेत में हरी खाद देने की जहाँ तक दूसरी विधि का सवाल है तो इसके तहत जिस भूमि में मुख्य फसल उगानी है उस भूमि से अलग हरी खाद की फसल उगाई जाती है। हालाँकि यह विधि अधिक प्रचलित नहीं है, लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में इस विधि का काफी उपयोग किया जाता है। इसमें हरी खाद की फसल अन्य खेत में उगाई जाती है और उसे उचित समय पर काट दिया जाता है। इसके बाद मुख्य खेत में हरी खाद के साथ पेड़-पौधों व झाड़ियों आदि की पत्तियों तथा टहनियों को इकट्ठा करके मिट्टी में मिला दिया जाता है।
खेतों में हरी खाद देने की दूसरी विधि भी काफी कारगर होती है, लेकिन हरी खाद के लिए अलग खेत में फसल उगाने, उन्हें ले आने व ले जाने में अतिरिक्त समय व मेहनत लगती है। इसलिए अगर आप भी अपने खेतों में हरी खाद देना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप हरी खाद का निर्माण उसी खेत में करें जिसमें हरी खाद देनी हो।