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खेती के जरिये आमदनी बढ़ाना चाहते हैं तो दलहनी फसलों की खेती में आजमाएँ हाथ

नई दिल्ली: दलहनी फसलों की खेती से किसानों को कई अन्य फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिलता है। क्योंकि लगभग सभी दलहनी फसलों का मूल्य बाजार में ऊँचा होता है। ये अनाज शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का मुख्य जरिया होते हैं, इसलिए प्रायः सभी घरों में इनकी मौजूदगी प्रमुख व अनिवार्य रूप से होती है। अगर आप कृषि के जरिये अपनी आय को बढ़ाना चाहते हैं तो इन फसलों की खेती में भी हाथ आजमा सकते हैं। आपके पास चना, मूंग, मोठ, उड़द, अरहर व सोयाबीन इत्यादि की खेती शुरू करने का विकल्प है। ये ऐसी फसलें हैं, जिनकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है। इसलिए इनकी बिक्री को लेकर आपको चिंता नहीं करनी होगी।

दालों में अरहर सबसे प्रमुख अनाज है। इसके अलावा लोग मिश्रित दालों में मूंग का भी उपयोग करते हैं। इन दोनों अनाजों यानी अरहर और मूंग की कीमत बाकी दलहनी फसलों से भी ऊँची रहती है। जहाँ तक चने की बात है तो इसका उपयोग भारत में दाल के अलावा सत्तू के रूप में भी किया जाता है। इससे कई प्रकार के स्वादिष्ट भोजन बनाए जाते हैं। इसलिए इसकी मांग भी पूरे साल बरकरार रहती है। बेहतर मुनाफे के लिए आप अपने क्षेत्र की अनुकूलता के अनुसार किसी भी दलहनी फसल का चुनाव कर सकते हैं।

दलहनी फसलों की खेती के कुछ अन्य फायदे भी हैं, मसलन –

इनकी खेती से मृदा की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। जी हाँ, दलहनी फसलों के पौधों की जड़ों में उपस्थित ग्रंथियाँ वायुमण्डल से सीधे नत्रजन ग्रहण कर पौधों को देती हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ने लगती है। इसलिए फसल चक्र को अपनाते हुए साल या दो साल में कम से कम एक बार दलहनी फसलों की खेती ज़रूर करें।

दलहनी फसलें खाद्यान्न फसलों की अपेक्षा अधिक सूखारोधी होती हैं। इसलिए जिन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की समस्या है, वहाँ के लिए दलहनी फसलों की खेती एक बेहतर विकल्प है।

दलहनी फसलों की खेती से किसानों को कई अन्य खाद्यान्न फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा प्राप्त होता है।

दलहनी फसलों की खेती से भूमि में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है। मिट्टी में उर्वरा शक्ति अच्छी होने पर फसल की जड़ों का फैलाव अच्छा होता है।

किसान मित्रों, दलहनी फसलों की खेती इसलिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इससे मिट्टी में जल धारण की क्षमता में बढ़ोतरी होती है।

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