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2 अक्टूबर को दिल्ली पहुँचेगी किसानों की क्रांति यात्रा

कुछ गंभीर मुद्दों पर अपनी मांगें मनवाने के लिए किसानों के बीच सुगबुगाहट एक बार फिर से शुरू हो चुकी है। इस बार देश भर के किसान भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले इकट्ठे हुए हैं और किसान क्रांति यात्रा के जरिये सरकार तक अपनी आवाज़ पहुँचाने के मकसद से निकल भी चुके हैं। किसानों की यह क्रांति यात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार के टिकैत घाट से शुरू हो कर उत्तर प्रदेश के मेरठ से आगे बढ़ गई है। कल यानी 2 अक्टूबर को ये किसान लाखों की संख्या में दिल्ली के किसान घाट पर इकठ्ठा होने वाले हैं। कुछ अन्य मुद्दों के साथ इनकी मांगें साफ़ हैं, संपूर्ण कर्जमाफी के साथ ही स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करवाना।

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि, “सरकार के चार साल पूरे हो जाने के बाद भी जगह-जगह खड़े हो रहे किसान आन्दोलन इस बात के सुबूत हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गम्भीर नहीं है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार किसान खेती छोड़ रहे हैं। किसानों की आत्महत्यायें रूक नहीं रही हैं, बल्कि बढ़ ही रही हैं। साथ ही किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण उनपर कर्ज का भार बढ़ रहा है।”

राकेश टिकैत ने ना सिर्फ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर सवाल उठाया है बल्कि सीधे तौर पर योजना से जुड़ी बीमा कंपनियों पर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में न होकर बीमा कम्पनियों के हित में कार्य कर रही हैं।” किसानों की दुर्दशा का ठीकरा उन्होंने सरकार के माथे पर फोड़ते हुए कहा कि, “देश के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर लगभग 19 हजार करोड़ रुपया अभी भी बकाया है जबकि पेराई सीजन बंद हो चुका है। घोषणा पत्र में भाजपा ने 14 दिन में गन्ना भुगतान की बात कही थी। भाजपा का यह वादा भी किसानों के लिए जुमला ही साबित हुआ है। किसानों के नाम पर बने एक आयोग की रिपोर्ट पिछले 15 साल से धूल चाट रही है। उसे लागू करना तो दूर आज तक उस पर संसद में चर्चा भी नहीं हुई। सरकारों द्वारा किसानों का उत्पीड़न जारी है।”

किसान क्रान्ति यात्रा की शुरूआत हो चुकी है और हजारों-लाखों कदमों की धमक अब दिल्ली तक पहुँचने भी लगी है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि लगभग 30 हजार किसानों व 500 से अधिक ट्रैक्टरों के साथ शुरू हुई किसान क्रांति यात्रा में अब किसानों की संख्या बढ़कर 50 हजार हो चुकी है। अब देखना ये है कि 2 अक्टूबर को लाखों की संख्या में किसान दिल्ली पहुँच कर किस वादे और भरोसे के साथ वापस लौटते हैं।

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