दिनाँक 10 जून 2019, को BAMETI सभागार, पटना में रेडियो पिटारा द्वारा RCOF, पटना के साथ मिल कर ‘किसान-संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मक़सद था किसानों में क्षमता निर्माण करना।
बताते चलें कि, रेडियो पिटारा पिछले कुछ वर्षों से ग्रामीण भारत और किसानों के सशक्तिकरण के लिए लगातार कार्य कर रहा है। इसने ग्रामीण भारत में सूचना के आदान-प्रदान को आसान बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। आज ग्रामीण आबादी का एक बड़ा तबका रेडियो पिटारा से मात्र एक मिस्ड कॉल के जरिये जुड़ कर बाकी दुनिया से संवाद स्थापित कर रहा है। सूचना के संचार को आसान और सर्वसुलभ बनाने की दिशा में ये कार्य ही आज रेडियो पिटारा के परिचय हैं। ‘किसान-संवाद’ इस दिशा आगे बढ़ने की एक और कवायद है।

कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए ‘किसान-संवाद’ के आयोजक श्री शुभंकर भारद्वाज ने कहा कि, “रेडियो पिटारा ने ग्रामीण भारत के सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ते हुए कृषि विशेषज्ञों और किसानों के बीच एक प्रभावशाली वैचारिक आदान-प्रदान के लिए ‘किसान-संवाद’ की पहल की है। इस कार्यक्रम की तकनीकी रूपरेखा RCOF के सहयोग से तय की जा रही है। RCOF का पटना केंद्र कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यरत है, जो राज्य में जैविक खेती के विस्तार पर कार्य कर रहा है।”

उन्होने आगे कहा कि, “इस कार्यक्रम के जरिये प्रयत्न किया जा रहा है कि किसानों से जुड़े कुछ समकालीन और ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के बाद क्षमता निर्माण के लिए किसानों को प्रेरित किया जा सके। ‘किसान-संवाद’ में कई एक मुद्दों पर चर्चा होनी है, मसलन – जैविक खेती की उत्कृष्ट विधियाँ और उनके विभिन्न प्रारूप, जैसे : बहुफसलीय खेती और मिश्रित खेती। खेती में पोषक तत्वों का प्रबंधन, उत्पादन विधि में स्वदेशी प्रकार की भूमिका, कम्पोस्ट, लिक्विड मैनयोर और कीट प्रबंधन, फसल अवशेष प्रबंधन, किसान उत्पादक संगठन (FPO) तथा खेती के जरिये आय बढ़ाने के उपाय आदि।”
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर इसी वर्ष पद्मश्री से सम्मानित अनुभवी किसान श्री भारत भूषण त्यागी उपस्थित थे। श्री त्यागी कृषि जगत के एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उन्होने दशकों के अपने प्रयोगों और अनुभवों से पारंपरिक कृषि को पुनः महत्व दिलाने का महतम कार्य किया है। किसान-संवाद को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि, “जलवायु परिवर्तन से खेती करना घाटे का सौदा होता होता जा रहा है। अब समय आ गया है कि किसान कम जमीन पर मल्टी क्रॉप की खेती कर अधिक उत्पादन करें। किसानों को सिर्फ उत्पादक ही नहीं बनना है बल्कि अपने उत्पाद को बाज़ार तक ले जाना भी सीखना होगा।”
कार्यक्रम में श्री जगत सिंह (आरसीओएफ, साहायक निदेशक) और श्री नन्द किशोर (बागवानी निदेशक, बिहार सरकार) की भी विशिष्ट उपस्थिति रही।