कृषि पिटारा

जानिए क्या है ई-मंडी? इसे किसानों को कैसे हो रहा है फायदा?

नई दिल्ली: भारत में किसानों को अपनी फसल को बेचने के लिए अक्सर ही बाजार की जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। मसलन उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता, मात्रा और कीमत का निर्णय नहीं लेने दिया जाता है। बल्कि उन्हें बिचौलियों के हाथों में अपनी फसल को बेचना पड़ता है, जिससे उन्हें उचित दाम नहीं मिल पता है। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने एक नया इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल लॉन्च किया है, जिसका नाम है ई-मंडी। ई-मंडी एक ऐसा पोर्टल है जो किसानों को अपनी फसल को बेहतर तरीके से बेचने में मदद करता है। यह पोर्टल किसानों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता, मात्रा और कीमत का निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।

ई-मंडी का मतलब है इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (e-National Agriculture Market)। यह पोर्टल पूरे देश में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी (APMC) को एक नेटवर्क में जोड़ता है। इससे किसानों को एक राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध होता है, जिसमें वे अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेच सकते हैं। इससे उन्हें अपनी फसल का उचित दाम मिल सकता है और वे बिचौलियों के शोषण से बच सकते हैं। ई-मंडी की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल 2016 को की थी। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना है। इसके तहत मंडियों के डिजिटलीकरण की गई। जिससे किसानों को अपने उत्पादों की ग्रेडिंग, छंटाई और पैकेजिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती है। वे अपने उत्पादों की फोटो और विवरण ऑनलाइन डाल सकते हैं और दूरस्थ रूप से अपने उत्पादों को नीलामी पर लगा सकते हैं।

ई-मंडी का फायदा यह है कि इसमें किसान सीधे विक्रेताओं से संपर्क कर सकते हैं और अपनी फसल को जिस राज्य में जितना दाम मिल रहा है, वहाँ बेच सकते हैं। इससे उन्हें अपनी फसल को एक ही राज्य में बेचने की पाबंदी नहीं होती है। और वे अपनी फसल को अधिक से अधिक लाभ के साथ बेच सकते हैं। इस पोर्टल की मदद से किसान घर बैठे अपना सामान बेच सकते हैं व अपने खाते में सीधे पैसे प्राप्त कर सकते हैं।

ई-मंडी की सफलता का अंकड़ा यह है कि इस पोर्टल से अब तक 1.68 करोड़ किसान, व्यापारी और एफपीओ रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इस पोर्टल पर अब तक 175 फसलों का व्यापार हुआ है। अगर व्यापार के कुल मूल्य की बात करें तो इस पोर्टल से अब तक 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। इस पोर्टल को अब तक 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनाया है। इस पोर्टल से जुड़े 1000 से अधिक मंडियों में 14 लाख टन से अधिक फसल की नीलामी हुई है।

ई-मंडी का उपयोग करने के लिए किसानों को बस एक स्मार्टफोन और इंटरनेट की जरूरत होती है, जो कि आज के समय में आसानी से उपलब्ध है। लेकिन ई-मंडी को और अधिक सफल बनाने के लिए कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। जैसे कि किसानों को ई-मंडी के बारे में जागरूक करना, उन्हें ऑनलाइन बाजार की कार्यप्रणाली सिखाना, उन्हें नियमित रूप से बाजार के भावों की जानकारी देना, उन्हें ऑनलाइन भुगतान की सुरक्षा और सुविधा प्रदान करना, तथा  उन्हें अपने उत्पादों की वितरण और विपरण की बारीकियों की जानकारी देना।

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