कृषि क्षेत्र एक अरसे से, यूँ कहें कि अपने ही दम पर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, तो गलत नहीं होगा। किसान दिन-ब-दिन खेती और अपनी माली हालत की जंग हार कर बेरोजगारी या फिर शहरों की ओर रुख कर रहें हैं। जबकि, खेती-किसानी के प्रति देश के युवाओं का रुझान ना के बराबर ही रह गया है। जिसका नकारात्मक परिणाम यह है कि कृषि क्षेत्र में नवाचार एवं नवीन विधियों का प्रसार बस उसी हद तक हो पा रहा है जिस हद तक सरकार या फिर कुछ स्वनामधन्य कृषि वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं। एक आँकड़े के अनुसार, देश के कुल पाँच फीसदी युवा ही कृषि को बतौर रोजगार अपनाते हैं। एक तथ्य यह भी है कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसरों की कमी या उनकी अनुपलब्धता युवाओं को कृषि क्षेत्र की ओर प्रेरित करती है।
केंद्र सरकार अब इस स्थिति में बदलाव लाने के मूड में दिख रही है। जिसकी बानगी आने वाले दिनों में ‘अभ्यास’ नाम से शुरू होने वाली योजना में देखने को मिलने वाली है। ‘कृषि क्षेत्र में युवाओं को आकर्षित व प्रेरित करने’ पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में बात करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन मोहपात्रा ने कहा कि, “कृषि क्षेत्र में युवाओं का असंतोषजनक रुझान एक गंभीर चुनौती है। इसीलिए खेती को आकर्षक क्षेत्र बनाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। ‘अभ्यास’ योजना के लिए अलग निधि का गठन किया जाएगा।” डॉक्टर मोहपात्रा ने यह भी बताया कि, “अभ्यास योजना के तहत विज्ञान विषय के स्नातक छात्रों को कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए छह महीने का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के बाद इन युवाओं को एग्री क्लीनिक, स्वायल टेस्टिंग लैब और अन्य इसी तरह के किसानों के हित से जुड़े उद्यम शुरु करने का मौका दिया जाएगा। यही नहीं इसके लिए उन्हें रियायती दरों पर बैंकों से ऋण भी उपलब्ध करवाया जाएगा।”
सम्मेलन के संयोजक डॉक्टर आरएस परोडा ने कहा कि, “युवाओं को उद्यमी के तौर पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। इस समय किसानों को उनके खेत पर ही सुविधाएं देने की जरूरत है, जिसके लिए युवा वैज्ञानिक ही सक्षम हैं। साथ ही कृषि क्षेत्र को मल्टी सुपर स्पेसियलिटी अस्पताल जैसी सहूलियत की जरूरत है।” जो भी हो, मगर आने वाले दिनों में देखने वाली बात ये होगी कि कृषि क्षेत्र के जरिये समृद्धि की उम्मीद त्याग चुके युवा पीढ़ी को ‘अभ्यास’ योजना के जरिये साधने में सरकार कितनी सफल हो पाती है।