कृष्णा यादव आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है, दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाली कृष्णा एक सफल खाद्य प्रसंस्करण उद्यमी हैं। कृष्णा यादव आज ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की मालकिन हैं, उन्हें ये सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली है, इसके लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, ज़िन्दगी में कई उतार चढ़ाव आए, तब जाकर वह आज इस मुकाम पर हैं।
गुड़गांव के एक छोटे से कमरे में अचार बनाना शुरू किया और अब वे 100 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। अनपढ़ होते हुए भी कृष्णा ने यह कामयाबी का वो सफर तय कियाजो हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है।
‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की 4 लघु इकाइयां भी वह चला रही हैं, जिनमें अचार से जुड़े 152 उत्पाद तैयार किए जाते हैं., कृष्णा यादव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाली हैं, 1995-96 उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था।
उनके बेरोजगार पति गोवर्धन यादव मानसिक रूप से बेहद परेशान हो चुके थे। लेकिन यह कृष्णा यादव की दृढ़ता और साहस ही था कि जिसने उनके परिवार को इस कठिन दौर को सहने की ताकत दी, उन्होंने अपने एक मित्र से 500 रुपये उधार लिए और परिवार के साथ दिल्ली आने का फैसला किया, दिल्ली में उन्हें जब कोई काम नहीं मिला तो उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन बटाई पर लेकर पर सब्जी उगानी शुरू की।
3 महीने का लिया प्रशिक्षण
मंडी में सब्जी के दाम कम मिलते थे, इसलिए 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का 3 महीने का प्रशिक्षण लिया और अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया।
3 हजार रुपये के शुरुआती निवेश पर 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया, जिसे बेच कर उन्हें 5250 रुपए का लाभ हुआ।
इसके बाद उन्होंने अचार बनाना शुरू कर दिया, लेकिन मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई. ऐसे में कृष्णा ने सेल्फ मार्केटिंग करना शुरू कर दिया और सड़क पर ही अचार बेचने लगीं।
गुणवत्ता अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे अचार बिकना शुरू हुआ, उनका आचार इतना फेमस हुआ किया आज कृष्णा यादव ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की मालकिन हैं और उनका पांच करोड़ से भी ज्यादा का कारोबार है।