नई दिल्ली: आजकल काला नमक चावल काफी चर्चा में है। जी हाँ, यह चावल की यह किस्म न केवल भारत में बल्कि जापान, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड और भूटान सहित बौद्ध धर्म के मानने वाले कई देशों में काफी लोकप्रिय हो रही है। इस धान से निकला चावल सुगंध, स्वाद और सेहत से भरपूर होता है। काला नमक किरण इस प्रजाति की अब तक की सबसे उन्नत व प्रसिद्ध किस्म है।
काला नमक चावल की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से काफी किसान इसके बारे में अधिक से अधिक जानना चाह रहे हैं, ताकि इसकी उन्नत खेती कर अच्छी उपज व मुनाफा कमा सकें। अगर आप भी उस क्षेत्र विशेष से संबंध रखते हैं, जहाँ आप इसकी खेती व्यावसायिक स्तर पर कर सकते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। जैसे –
अगर आप कालानमक किरण खेती करने जा रहे हैं तो पहले से तैयार जैविक खेत का ही प्रयोग करें। इससे आपको अधिक व अच्छी उपज प्राप्त होगी।
बीजोपचार के लिए ट्राइकोडर्मा से बीज शोधित कर लें और इसके बाद ही उनकी बिजाई करें।
रोपाई करते समय या रोपाई करने से पहले सूडोमोनास के दो प्रतिशत घोल में पौध की जड़ों को कुछ समय के लिए डूबोकर रखें। इसके बाद ही उनकी रोपाई करें।
खेत की तैयारी करते समय 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में गोबर की सड़ी हुई खाद या मुर्गी की खाद डालें।
बेहतर होगा कि आप खेत में रोपाई के 40 दिन पहले 40 किलोग्राम ढ़ैचा का बीज प्रति हैक्टेयर की दर से मुख्य खेत में बोएँ। जब पौधे 35 से 40 दिन के हो जाएँ तो उनको खेत में पलटकर व पानी भरकर सड़ा दें। फिर हरी खाद को पलटने के एक सप्ताह के अन्दर आप रोपाई कर सकते हैं।
इनके अतिरिक्त कई और उपाय भी मौजूद हैं, जिनका उपयोग करके आप खेत में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ा सकते हैं। जैसे – पीएसबी, हर्बोजाइम, बीजीए, प्रोम और वर्मीकम्पोस्ट इत्यादि।
कीटों तथा बीमारियों के नियन्त्रण लिए आप अमृतपानी, नीमोलीन, नीम आधारित उत्पाद और जीवामृत आदि का उपयोग कर सकते हैं। ये आपको बाजार में आसानी से मिल जाएंगे।