कृषि पिटारा

इन उपायों के जरिये बढ़ सकता है लहसुन की खेती में मुनाफा

नई दिल्ली: लहसुन का उपयोग अधिकांश भारतीय व्यंजनों में किया जाता है। कई औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण इसके स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं। इसमें प्रोटीन, फस्फोरस और पोटाशियम जैसे कई पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह पाचन क्रिया को दुरुस्त करने व मानव रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में भी मदगार होता है। मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा भारत के प्रमुख लहसुन उत्पादक राज्य है। अगर आप लहसुन की खेती शुरू करने वाले हैं तो इस फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ प्रमुख रोगों के प्रति आपको सावधान रहना होगा।

लहसुन की पैदावार को झुलसा रोग काफी नुकसान पहुँचाता है। इस बीमारी के प्रभाव से पौधे पहले पीले पड़ जाते हैं फिर पौधे सूखने लगते हैं। कुछ समय बाद पौधे पूरी तरह विकसित होने से पहले ही नष्ट हो जाते हैं। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक मौसम में बदलाव और एकाएक तापमान के उतार-चढ़ाव होने से यह बीमारी पनपती है। खास तौर पर यदि अचानक से तापमान बढ़ने लगे तो लहसुन की फसल पर इस रोग का हमला होने लगता है।

लहसुन की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए एक लीटर पानी में 2.5 ग्राम डायथेन का घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। एक सप्ताह के बाद आप कपेंनिन दवाई की 500 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। इसके अलावा 15 दिन के बाद सौ लीटर पानी में स्कोर 30 एमएल को घोलकर भी छिड़काव करें। इससे झुलसा रोग नियंत्रण में आ जाएगा।

लहसुन की फसल पर अक्सर बल्ब रोट नामक रोग का प्रकोप देखने को मिलता है। अगर खेत में जल का उचित प्रबंधन न हो तो इस स्थिति में अधिक पानी के भराव की वजह से लहसुन के कंद सड़ने लगते हैं। इसलिए बल्ब रोट बीमारी से फसल के बचाव के लिए खेत में पानी और खाद की संतुलित मात्रा बरकरार रखें। इसके अलावा लहसुन के भंडारण से पहले कंदों को अच्छी तरह सूखाकर साफ करें। इसके अलावा जब फसल पक कर तैयार हो जाए तो भंडारण के दौरान अच्छी तरह से पके, ठोस और स्वस्थ कंदो का चुनाव करें। भंडारण वाली जगह को नमी रहित और हवादार बनाए रखें। जहां लहसुन का भंडारण किया जा रहा हो उस जगह पर कंदों का ढेर नहीं लगाएँ। इसके अलावा कंदों को पत्तियों से गुच्छों में बांध कर रस्सियों पर लटका दें। फिर समय-समय पर सड़े हुए कंदों को निकालते रहें। लहसुन की फसल की खुदाई के 3 हफ्ते पहले करीब 3000 पीपीएम मैलिक हाइड्रोजाइड का छिड़काव कर दें। इससे लहसुन के सुरक्षित भंडारण की अवधि बढ़ जाएगी।

वैसे तो थ्रिप्स नामक कीट तो कई फसलों को नुकसान पहुँचाता है, लेकिन लहसुन की फसल के लिए यह कीट काफी हानिकारक साबित होता है। इस कीट के बच्चे और वयस्क दोनों सैकड़ों की तादाद में लहसुन की फसल को नुकसान पहुँचाते हैं। ये कीट लहसुन की पत्तियों को खरोंचकर और छेदकर कर उसका सारा रस चूस लेते हैं, जिस वजह से पत्तियां मुड़ जाती हैं और पौधे सूख कर गिरने लगते हैं। इस वजह से लहसुन की गांठें छोटी रह जाती हैं। अगर इन कीटों का हमला काफी आधिक हो तो सारी फसल भी बर्बाद हो जाती है। इस कीट की रोकथाम के लिए फसल को डाइमिथोएट 30 ईसी, मैलाथियान 50 ईसी या फिर मिथाइल डिमेटान 25 ईसी की एक मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें।

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