कृषि पिटारा

हिमाचल प्रदेश में पिछले महीने हुई बारिश ने 19 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा, अब किसान संकट में

शिमला: हिमाचल प्रदेश में पिछले महीने हुई बारिश ने 19 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। इसका सबसे बुरा असर किसानों पर पड़ा है। इस रिकॉर्ड तोड़ बारिश की वजह से किसानों की हजारों हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई है। खास बात यह है कि सबसे अधिक बागवानी फसलों को नुकसान पहुंचा है। इससे किसानों की हालत खराब हो गई है। काफी किसानों ने कर्ज लेकर बागवानी फसलों की खेती की थी। फसल नुकसान होने से उनकी चिंता बढ़ गई है। ऐसे में किसान ने सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बेमौसम बारिश की वजह से प्रदेश में किसानों को 192 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। इसमें बागवानी उत्पादक किसानों को 91 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं, अधिक बारिश होने से 55 करोड़ रुपये की पारंपरिक फसलें बर्बाद हो गई हैं।

जानकारों की माने तो मई महीने में पक कर तैयार होने वाली फसलों को बारिश से ज्यादा नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। मई महीने में ऐसे सामान्य तौर पर 63.3 एमएम बारिश की जरूरत होती है, लेकिन इस बार मौसम ने 19 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया और सिर्फ मई में 116. 8 एमएम बारिश दर्ज की गई। इससे प्रदेश भर में कृषि उत्पादन पर असर पड़ा।

गौरतलब है कि बीते मार्च और अप्रैल महीने में भी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया था। इससे हरियाणा, पंजाब, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात सहित कई राज्यों में रबी फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा था। सबसे ज्यादा गेहूं, सरसों और चना की फसल बारिश से बर्बाद हुई थी। इसके बाद हरियाणा और पंजाब  की सरकारों ने मुआवजे का ऐलान किया था। तब दोनों राज्य की सरकारों ने कहा था कि 75 प्रतिशत से अधिक फसल बर्बादी पर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि दी जाएगी। अगर फसलों की बर्बादी 51 से 75 प्रतिशत तक रहेगी, तो मुआवजा राशि घटकर 12 हजार रुपये प्रति एकड़ हो जाएगी।

Related posts

Leave a Comment