कृषि पिटारा

गेहूं खरीद के मामले में पिछले साल का रिकॉर्ड टूटा, अबतक 250 लाख मीट्रिक टन गेहूं की हुई खरीद

नई दिल्ली: देश भर में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो चुकी है। अब तक किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 250 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। पिछले महीने गेहूं की खरीद के शुरुआत मंदी के साथ हुई। फिर धीरे-धीरे खरीद में तेजी आई। अब अप्रैल महीने के मुकाबले मई में गेहूं की आवक में तेजी आई है। किसान भारी संख्या में मंडी में गेहूं बेचने के लिए पहुंच रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि एफसीआई जल्द ही गेहूं खरीद के लिए निर्धारित लक्ष्य 341.5 लाख मीट्रिक को पार कर सकता है। इससे आने वाले समय में देश भर में गेहूं की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।

एफसीआई के अनुसार, पिछले साल के मुकाबले इस बार गेहूं की तेजी से खरीद हो रही है। 8 मई तक एफसीआई ने 250 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है, जबकि, पिछले साल इस अवधि के दौरान 176 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी। अगर राज्यवार बात करें तो गेहूं खरीद के मामले में पंजाब अव्वल है। पंजाब से सबसे अधिक 118 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। जबकि दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है। यहां से 8 मई तक 65.33 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। वहीं, तीसरे स्थान पर हरियाणा है। यहाँ से उक्त तिथि तक 62 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। इस बार पंजाब के किसानों ने गेहूं बेचने के मामले में उत्तर प्रदेश के को पीछे छोड़ दिया है। गेहूं बेचने के एवज में 7 मई तक पंजाब के किसानों के खाते 22907.39 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि 24050.47 करोड़ रुपये का भुगतान करना अभी बाकी है। इसी तरह हरियाणा के किसानों के खाते में 7 मई तक 10621.45 रुपये पहुंच चुके हैं जबकि, 12450.14 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान सरकार की ओर से जल्द कर दिया जाएगा।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 7 मई तक गेहूं बेचने वाले किसानों के खाते में 41742.92 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। जबकि 50471.69 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान सरकार द्वारा जल्द ही किया जाएगा। केंद्र सरकार इस बार किसानों से 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीद रही है। हालांकि, गेहूं की गुणवत्ता खराब होने पर एमएसपी में 5.31 रुपये से लेकर 31.87 रुपए के बीच प्रति क्विंटल की दर से कटौती की जा रही है। हालांकि, पंजाब और हरियाणा सरकार इस कटौती की भरपाई खुद ही कर रही है। यानी कि किसानों को क्वालिटी प्रभावित गेहूं बेचने पर भी उनके खाते में 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ही पैसे आ रहे हैं।

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