मुजफ्फरपुर: लीची की खेती करने वाले किसानों के भविष्य पर मडराते संकट के बादल बहुत जल्द ही छँटने वाले हैं। मुजफ्फरपुर की लीची ने राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर तो ख्याति स्थापित की लेकिन इससे लीची की खेती करने वाले किसानों की माली हालत पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ा। मगर अब ऐसा लग रहा है कि जल्द ही यह पुराने दिनों की बात हो जाएगी। दरअसल, पेय पदार्थ बनाने वाली जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय कंपनी कोका कोला ने राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के साथ लीची के विकास की पहल की है।
इस पहल से एक तरफ लीची की खेती को बढ़ावा तो मिलेगा ही दूसरी तरफ मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार में रोजगार के भी अवसर उत्पन्न होंगे। राज्य के इस इलाके में ज़्यादातर किसान आज भी पारंपरिक फसलों की ही खेती करते हैं। इससे उन्हे कोई ख़ास मुनाफा नहीं होता है। कई बार तो मौसम या अन्य विपरीत कारकों की वजह से उन्हें पैदावार का सही मूल्य भी नहीं मिलता है। ऐसे में, उनके पास अगर उन्हें लीची की खेती के लिए उचित मार्गदर्शन मिलता है तो निश्चित तौर पर उन्हें कृषि से जुड़े रहने का एक मजबूत आधार मिलेगा। क्योंकि कई किसान लीची की खेती में कोई विशेष मुनाफा नहीं मिलने से इससे मुँह मोड़ रहे हैं।
कोका कोला कंपनी और राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर अब लीची के विकास पर साथ-साथ काम करेंगे। इससे इस पूरे क्षेत्र में लीची की खेती को एक ओर जहाँ प्रोत्साहन मिल सकेगा वहीं दूसरी ओर लीची के गुणवत्ता पर भी काम किया जाएगा। आने वाले समय में लीची की और अधिक उन्नत किस्म की लीची का उत्पादन किया जाएगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र टेक्निकल सपोर्ट उपलब्ध कराएगा, तो कोका कोला लीची के मार्केटिंग और विदेशों में निर्यात की ज़िम्मेदारी सम्हालेगी।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने कोका कोला के साथ काम करने को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होने कहा कि, “यह केंद्र सरकार की योजना है। कोका कोला कंपनी अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत लीची के विकास में सहयोग कर रही है। अब इलाके में लीची के विकास को गति मिलेगी। आधुनिक तकनीक से लीची की खेती की जाएगी। किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा और नई तकनीक के साथ लीची का उत्पादन किया जाएगा। तीन चरणों में काम होगा। पहले चरण में वैसे पेड़ जो फल नहीं दे रहे है, उन्हें ठीक किया जाएगा। दूसरे चरण में पुराने बागों का जीर्णोद्धार और तीसरे चरण में नये बाग बनाए जाएंगे।” उन्होने आगे कहा कि, “दो हजार हेक्टेयर में लीची की नई तकनीक से खेती करने का लक्ष्य रखा गया है। इसे आगे बढ़ाया जाएगा। इस से सहमति किसान, रोजगार और ट्रांसपोर्टर को फायदा होगा। नई तकनीक से लीची का तीन गुणा अधिक उत्पादन किया जा सकता है।”
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर और कोका कोला कंपनी की इस समझौते से लीची की खेती करने वाले किसान काफी उत्साहित नज़र आ रहे हैं। उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि जल्द बिहार के खेतों से उत्पादित लीची और उससे बने उत्पादों की पहुँच अंतराष्ट्रीय बाजारों में भी होगी।
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