भोपाल: इन दिनों दुधारू पशुओं में लंपी स्किन नाम का रोग तेजी से फैल रहा है। इसे देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सतर्कता बढ़ा दी है। इस दिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक महीने में तीसरी बार बैठक की। इसके बाद मुख्यमंत्री के निर्देश पर भोपाल में राज्य स्तरीय रोग नियंत्रण हेल्पलाइन नंबर (0755-2767583, टोल फ्री नंबर 1962) जारी किया गया है। मुख्यमंत्री ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए सभी आवश्यक उपाय अपनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि अधिकारी इस रोग से पशुओं को बचाने के उपायों के बारे में पशुपालकों को जानकारी दें। ग्राम सभा बुलाकर भी पशुपालकों को जागरूक करें। गौशालाओं में पशुओं का टीकाकरण तेजी से करें। इस बीमारी को पूरी गंभीरता से लें। यदि कोई पशु बीमार है तो उसकी बीमारी को छिपाएं नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करें।
मध्य प्रदेश सरकार ने संबन्धित अधिकारियों को संक्रमित पशुओं का आवागमन सख्ती से प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया है, ताकि दूसरे पशु इस बीमारी से संक्रमित नहीं हो सकें। दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार की चिंता लंपी स्किन को लेकर इसलिए बढ़ी हुई है क्योंकि यह राजस्थान और गुजरात दोनों से सटा हुआ राज्य है। इन दोनों ही राज्यों में लंपी स्किन का कहर सबसे अधिक है। दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर पशुओं की आवाजाही होती है। ऐसे में एक से दूसरे राज्य में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक हो जाता है। इसलिए सरकार गुजरात और राजस्थान से सटे जिलों में खासतौर पर पशुओं की आवाजाही पर निगरानी रख रही है। राज्य सरकार का दावा है कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग सूबे में लंपी स्किन रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए अलर्ट जारी कर विशेष सतर्कता रख रहा है। संक्रमित क्षेत्रों तथा जिलों में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है व बीमार पशुओं का इलाज किया जा रहा है।
लंपी स्किन रोग से ग्रसित होने पर पशुओं में कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होते हैं। जैसे कि – इस दौरान संक्रमित पशु को हल्का बुखार होता है। पशु के मुंह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहता है। पैरों में सूजन हो जाती है व दूध उत्पादन में गिरावट देखने को मिलती है। गर्भित पशुओं में गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु भी हो जाती है। लंपी स्किन रोग से ग्रसित होने पर पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 2 से 5 सेंटीमीटर आकार की गाठें बन जाती हैं।
लंपी स्किन की रोकथाम के लिए संक्रमित पशु या पशुओं के झुंड को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें। कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को नष्ट करते रहें। पशुओं के आवास या बाड़े की साफ-सफाई रखें। संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन से बचें। रोग के लक्षण दिखाई देने पर पशु चिकित्सक से उपचार करवाना शुरू करें। क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले और क्रय-विक्रय से परहेज करें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण करवाएं। पशुओं में लंपी स्किन रोग के लक्षण दिखाई देने पर निकटतम पशु चिकित्सालय में संपर्क करें।