नई दिल्ली: देशभर में खरीफ फसलों की तैयारी तेज हो गई है और मक्का की बुवाई का समय भी नजदीक आ चुका है। इस बीच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने किसानों को मक्का की बुवाई से जुड़ी अहम सलाह दी है ताकि वे अधिक उत्पादन हासिल कर सकें और कीटों-रोगों से फसल को सुरक्षित रख सकें। इथेनॉल और पोल्ट्री फीड के लिए मक्के की बढ़ती मांग ने इसे किसानों के लिए एक फायदे का सौदा बना दिया है, लेकिन इस फसल की अधिक पैदावार तभी संभव है जब बुवाई सही समय और वैज्ञानिक तरीके से की जाए।
बुवाई का सही समय
आईसीएआर के मुताबिक खरीफ मौसम में वर्षा आधारित परिस्थितियों में मक्का की बुवाई 15 जून से 15 जुलाई के बीच करनी चाहिए, और यह कम से कम 50 मिमी बारिश होने के बाद ही शुरू करनी चाहिए। इससे पौधे की शुरुआती वृद्धि के लिए पर्याप्त नमी मिलती है और फसल की नींव मजबूत होती है।
बीज दर का रखें ध्यान
फसल के प्रकार के अनुसार बीज की मात्रा तय करना बहुत जरूरी है। सामान्य मक्का संकर किस्मों के लिए बीज दर 17.5-20 किलो/हेक्टेयर, स्वीटकॉर्न के लिए 7.5-10 किलो, पॉपकॉर्न के लिए 12.5 किलो, और बेबी कॉर्न के लिए 25 किलो/हेक्टेयर बताई गई है। इससे बीज का अनावश्यक खर्च नहीं होता और पौधों की दूरी वैज्ञानिक रूप से संतुलित रहती है।
खरपतवार नियंत्रण की वैज्ञानिक सलाह
बुआई के दो-तीन दिन बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए हल्की मिट्टी में 2 किलो/हेक्टेयर और भारी मिट्टी में 3 किलो/हेक्टेयर एट्राजीन हर्बिसाइड को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह करीब 30 दिनों तक असरदार रहता है। इसके अलावा, 15 से 18 दिनों के भीतर (या जब खरपतवार 4 पत्ती की अवस्था में हों) टेम्बोट्रिऑन या टोप्रामेजोन और एट्राजीन का मिश्रण उपयोग करने की सलाह दी गई है। यदि साइपरस घास की समस्या है, तो हैलोसल्फ्यूरॉन मिथाइल का छिड़काव करें।
फॉल आर्मी वर्म से बचाव
मक्का की फसल पर सबसे बड़ा खतरा फॉल आर्मी वर्म से होता है। इससे बचाव के लिए गर्मियों में गहरी जुताई, अंडों का संग्रहण और नष्ट करना, फेरोमोन ट्रैप लगाना, और सीमा फसल (जैसे लोबिया) का सहफसल के रूप में उपयोग जैसे उपाय अपनाने की सलाह दी गई है। इसके अलावा एज़ाडिरेक्टिन, बीटी स्प्रे, और ईपीएन स्प्रे का प्रयोग 10 से 21 दिनों के अंतर पर करें।
कीटनाशक छिड़काव की समयसीमा
21-28 दिन की अवस्था में: इमामेक्टिन बेंजोएट या स्पिनोसैड का छिड़काव करें।
30-35 दिन: मेटारिज़ियम एनीसोप्लाई स्प्रे का उपयोग करें।
36-42 दिन: फ्लूबेंडियामाइड, क्लोरोट्रिलिनिप्रोएल या स्पिनेटोरम से छिड़काव करें।
गंभीर संक्रमण की स्थिति में थायोडिकार्ब को चावल की भूसी और गुड़ के साथ मिलाकर खेत में डालना फायदेमंद रहता है।
उत्पादन बढ़ा, तभी बढ़ेगी कमाई
खरीफ में मक्का की बुवाई सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि कमाई का बड़ा जरिया बन सकती है, खासकर तब जब इसकी मांग इथेनॉल उद्योग और पोल्ट्री फीड में तेजी से बढ़ रही है। लेकिन इसका पूरा लाभ तभी मिल सकता है जब किसान वैज्ञानिक सलाहों को ध्यान में रखकर फसल का प्रबंधन करें। मक्का की समय पर बुवाई, संतुलित बीज दर, खरपतवार और कीट नियंत्रण के वैज्ञानिक उपाय अपनाकर किसान इस खरीफ सीजन में अधिक उत्पादन और बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।