किसी फसल से अच्छी पैदावार पाना काफी हद तक मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करता है। मौसम की अनिश्चितता फसलों की पैदावार पर काफी असर डालती है। हम अक्सर सुनते हैं कि अमुक क्षेत्र में अचानक आई बारिश की वजह से हजारों किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। या फिर इस बार मौसम के अनुकूल नहीं रहने के कारण अच्छी पैदावार नहीं हुई। किसान मित्रों, अगर आप मौसम के पूर्वानुमान पर आधारित कृषि करेंगे तो आपको उपरोक्त समस्याओं से नहीं जूझना पड़ेगा। बल्कि, आपको इससे कई प्रकार से फायदे ही होंगे।
मौसम के पूर्वानुमान पर आधारित कृषि करने से आपको अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। मसलन, अगर आपको बीज की बुआई करनी है और आपको आने वाले मौसम की सही-सही जानकारी है (जैसे – तापमान, वर्षा, अद्रता और मृदा में नमी इत्यादि) तो उपयुक्त परिस्थिति में बीजों का सही समय पर अंकुरण होगा। आगे बीजों का अच्छे से विकास होगा। इससे आपको अच्छी उपज मिलेगी।
इसके अलावा, मान लीजिये कि आपको पहले से ही पता है कि आने वाले समय में किसी फसल विशेष के लिए मौसम अनुकूल नहीं रहेगा। तो जाहिर तौर पर आप उस फसल की बुआई नहीं करेंगे। इससे आप भावी नुकसान से बच जाएंगे।
यदि आपको निकट भविष्य में होने वाली बारिश की सूचना है तो आप सिंचाई, कीटनाशक व खरपतवारनाशी के प्रयोग को रोक सकते हैं। अगर आपने जानकारी के अभाव में कीटनाशक या खरपतवारनाशी का प्रयोग कर भी दिया तो बारिश होने पर ये यहाँ-वहाँ बह जाएंगे और फसलों पर इनका कोई असर नहीं होगा। जबकि अगर आप मौसम के पूर्वानुमान से परिचित हैं तो आप फसल की सिंचाई सहित इन मदों में खर्च नहीं करेंगे। इससे खेती पर आने वाली अतिरिक्त लागत में कमी होगी और आपका मुनाफा बढ़ेगा।
यही नहीं, मौसम के पूर्वानुमान पर आधारित कृषि करने से फसलों की सही किस्मों का चुनाव करने में सहायता मिलती है। इससे जुताई, बुआई, सिंचाई, उर्वरक के प्रयोग, कटाई का समय निर्धारित करने और कीट प्रबंधन में भी सहायता मिलती है।
किसान मित्रों, उम्मीद है कि मौषम के पूर्वानुमान आधारित कृषि के फायदों से आप भली भाँति परिचित हो गए होंगे। आने वाले समय में आप कृषि की वैज्ञानिक पद्धति को अपनाने की ओर आगे बढ़ेंगे। इससे न केवल खेती में आपकी लागत और आपके मुनाफे के बीच का अंतर बढ़ेगा बल्कि आने वाले समय में आप इससे जुड़े व्यावसायिक पहलुओं से भी परिचित होंगे।