कृषि पिटारा

बिहार: रबी फसलों के लिए मौसम विभाग की सलाह, नुकसान से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

नई दिल्ली: बिहार में रबी फसलों के सीजन के दौरान, मौसम में उतार-चढ़ाव के संकेत देखे जा रहे हैं। इस उतार-चढ़ाव के बीच फसलों को नुकसान हो सकता है। किसानों को नुकसान से बचाने और अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मौसम विभाग (IMD) द्वारा सलाह जारी की गई है। इस सलाह का पालन करके किसान नुकसान से बच सकते हैं और अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इस बार किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों ने समय पर गेहूं की बुवाई की है उसकी अवस्था 60-65 दिनों की हो गई है। इस अवस्था में गेहूं में तीसरी सिंचाई करनी चाहिए। देर से बोई गई गेहूं की फसल में प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 1.25 किलोग्राम चूना और 12.5 किलोग्राम यूरिया के मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए। इस छिड़काव को तब करें, जब खेत में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दें।

इसके अलावा, जिन किसानों ने देरी से गेहूं की बुवाई की है, उनकी फसल 40-55 दिन अवस्था में है उसमें दूसरी सिंचाई करनी चाहिए। रबी मक्का की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि किसान रबी मक्का की सिंचाई अवश्य करें। सिंचाई के बाद खेत में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डालने की सलाह दी गई है। इस तरह मक्के का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

इस मौसम में अरहर में फली छेदक कीटों के संक्रमण से बचाव के लिए नियमित निगरानी की सलाह दी जाती है। खास कर उन खेतों में जहां पर फूल अब फली बनने की अवस्था में हैं। वहां पर लार्वा फली में प्रवेश करते हैं और बीज खाते हैं। इसलिए अगर अरहर के पौधों में यह संक्रमण पाया जाता है, तो इसके नियंत्रण के लिए कार्टैप हाइड्रोक्लोराइड का 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा, इस मौसम में सरसों की फसल में एफिड का संक्रमण हो सकता है। इससे बचाव के लिए लिए निरंतर निगरानी की सलाह दी जाती है। एफिड के शिशु और वयस्क दोनों ही पत्तियों, तनों, फूल या विकसित हो रही फलियों से कोशिका रस चूसते हैं। कीट की संख्या बहुत अधिक होने के कारण पौधों की जीवन शक्ति बहुत कम हो जाती है। पत्तियां घुंघराले स्वरूप में दिखने लगती हैं, फूल फलियां बनाने में विफल हो जाते हैं और विकसित होने वाली फलियां स्वस्थ बीज पैदा नहीं कर पाती हैं। इससे बचाव के लिए कीटनाशकों का छिड़काव करें।

जहां तक बागवानी फसलों का सवाल है तो, इस समय आम और लीची में फूल आने का समय आ गया है। इसके लिए किसानों को बगीचे में अंतरकृषि क्रिया बंद कर देने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही पेड़ों की पत्तियों पर इमिडक्लोप्रिड 17.8 एसएल या साइपरमेथ्रिन 10 ईसी का एक एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे आम और लीची के बागों को हॉपर और मिली बग के प्रकोप से बचाया जा सकेगा।

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