नई दिल्ली: मिर्च की खेती एक सामान्य से बजट में की जा सकती है। इसमें मुनाफा भी काफी बढ़िया है। लेकिन अगर समय रहते मिर्च में लगने वाले रोगों की रोकथाम न की जाए तो यह मुनाफा घट भी सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप मिर्च की खेती शुरू करने से पहले इस फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कुछ प्रमुख रोगों और उनके रोकथाम के बारे में ज़रूर जान लें।
मिर्च के पौधे को आर्द्रगलन रोग के कारण काफी नुकसान पहुँचता है। इसके प्रकोप से जमीन की सतह पर स्थित मिर्च के पौधे के तने का भाग काला पड़ कर कमजोर हो जाता है। इसकी वजह से मिर्च के छोटे पौधे गिरकर मर जाते हैं। इस बीमारी का प्रकोप ज़्यादातर पौधे की छोटी अवस्था में होता है। इस रोग से बचाव के लिए मिर्च के प्रति किलोग्राम बीज को बुवाई से पहले थीरम या केप्टॉन के 3 ग्राम मात्रा से उपचारित कर बोएँ। इसके अलावा नर्सरी का निर्माण आस-पास की भूमि से 4 से 6 इंच अधिक ऊँचाई पर करें।
मिर्च को नुकसान पहुंचाने वाला अगला रोग है छाछया रोग। इस रोग का प्रभाव मिर्च की पत्तियों पर सफेद चूर्णी धब्बे के रूप में दिखाई देता है। इस रोग से अधिक ग्रसित होने पर मिर्च की पत्तियाँ पीली पड़कर गिर जाती हैं। इस रोग से बचाव के लिए मिर्च के पौधों पर एक लीटर पानी में 1 मिलीलीटर केराथियॉन एल सी अथवा केलेक्सिन घोलकर छिड़काव करें। आगे अगर ज़रूरत हो तो 15 दिन अन्तराल पर इसे दोहराएँ।
किसान मित्रों, श्याम वर्ण या एन्थ्रोक्लोज बीमारी के कारण मिर्च की पत्तियों पर छोटे-छोटे काले धब्बे बन जाते है। इतना ही नहीं, इस रोग के कारण मिर्च की पत्तियाँ झड़ने भी लगती हैं। इस रोग का प्रकोप बढ़ने पर पौधों की शाखाएँ शीर्ष से नीचे की ओर सूखने लगती हैं। इसके अलावा पके हुए फलों पर भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। इस रोग के रोकथाम के लिए एक लीटर पानी में मैन्कोजेब या जाईनब की 2 ग्राम मात्र को घोलकर 15 दिनों के अन्तराल पर 2 से 3 छिड़काव करें।
जीवाणु धब्बा रोग एक ऐसा रोग है जिसके प्रकोप से मिर्च की पत्तियों पर छोटे-छोटे जलीय धब्बे बन जाते हैं। अन्त में रोगग्रस्त पत्तियाँ पीली पड़कर झड़ जाती हैं। इस बीमारी की रोकथाम के लिए प्रति लीटर पानी में स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 200 मिलीग्राम या कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम घोलकर आवश्यकतानुसार 15 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें।
किसान मित्रों, मिर्च की फसल पर पर्णकुंचन रोग का प्रकोप भी अक्सर देखा जाता है। इसके प्रभाव से मिर्च की पत्तियाँ सिकुड़ कर मुड़ जाती हैं। यही नहीं, मिर्च की पत्तियों की उचित तरीके से बढ़वार नहीं होती है व झुर्रियाँ पड़ जाती हैं। इस रोग के दौरान मिर्च की पत्तियों पर गहरे व हल्का पीलापन लिये हुए धब्बे बन जाते हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए रोग ग्रसित पौधो को उखाड़ कर नष्ट कर दें। रोग को आगे फैलने से रोकने के लिए डाइमिथोएट 30 ई सी को प्रति लीटर पानी मे मिला कर छिड़काव करें। ऐसा करने से आपको यथाशीघ्र सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।