कृषि पिटारा

मानसून में देरी से प्रभावित हो रही किसानी, धान की रोपनी पर पड़ रहा प्रतिकूल प्रभाव

जहानाबाद : मानसून के पूरी तरह सक्रिय होने में हो रही देरी और प्री मानसून की बारिश नहीं होने से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के इंतजार में अभी किसानों ने धान का जरूरी मात्रा में बिचड़ा खेतों में नहीं डाला है। अब तक पचास प्रतिशत भी बिचड़ा खेतों में नहीं डाले गए हैं। बारिश के अभाव में खेतों की तैयारी पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मालूम हो कि जिले में इस साल 46 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित है। यह भी मालूम हो कि जिले के किसान मुख्य रूप से धान की फसल पर ही निर्भर है। लेकिन जलवायु परिवर्तन और वर्षापात में कमी का सीधा असर किसानों पर हो रहा है। मानसून की सुस्ती के कारण धान की खेती में औसतन देरी और बाढ़ की आशंका को लेकर किसानों की परेशानी चरम पर है। 

मालूम हो कि अधिकांश किसान लंबी अवधि वाले धान का चयन करते हैं। इसका औसतन समय 160 से 180 दिन होता है। इन प्रभेदों के लिए बिचड़ा तैयार करने का समय भी लगभग निकल चुका है। जबकि किसान बिचड़ा डालने के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में फसल लगाने में देरी के कारण धान की फसल प्रभावित होगी। जबकि बिचड़ा डाल चुके किसानों के लिए भीषण गर्मी और उमस में इसे बचाना मुश्किल हो रहा है। तपिश के कारण बिचड़ा सूखने के कारण फसल का उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। जबकि खेत की तैयारी नहीं होने के कारण रोपनी में विलंब होना तय है। 

फिलहाल मानसून में अभी देरी की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे में बारिश का इंतजार करने वाले किसानों के लिए लंबी अवधि वाले फसल के बदले कम अवधि वाले फसल का चयन बेहतर होगा। इसके लिए किसान 110 से 125 दिन की अवधी वाले फसल का चयन कर सकते हैं। इनमें प्रभात, संभागी, सबौर अ‌र्द्धजल आदि प्रभेद कारगर हैं। 

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