कृषि पिटारा

मॉनसून की बरसात से देश के 18 राज्यों को मिली राहत, खरीफ फसलों की बुवाई में उछाल

नई दिल्ली: भारत के विभिन्न राज्यों में मॉनसून मेहरबान हो रहा है। इससे सामान्य बारिश के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई में तेजी देखी जा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, अब तक 67 फीसदी क्षेत्र में फसलें बोई गई हैं, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी ज्यादा हैं। देश में फिलहाल खरीफ फसलों के सामान्य क्षेत्र का आंकड़ा 1091.73 लाख हेक्टेयर है, जिसमें 21 जुलाई तक 733.42 लाख हेक्टेयर में फसलें बोई जा चुकी हैं। पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ 724.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई गई थी। इससे साफ है कि इस बार फसलों की बुवाई की रफ्तार तेज है और 8.43 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र कवर हो चुका है। धान, मोटे अनाज, तिलहन और गन्ने की बुवाई पिछले साल से अच्छी है। जबकि दलहन फसलों की बुवाई में कमी देखी जा रही है। यहां विशेष बात यह है कि हम दालों के बड़े आयातक हैं, इसलिए इस खास फसल की बुवाई में कमी का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की बुवाई पिछले साल की तुलना में 4.73 लाख हेक्टेयर अधिक हो चुकी है। जबकि इस बार 180.20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर हो चुका है। मध्य प्रदेश में पिछले साल से 7.07 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में धान रोपा जा चुका है। बिहार में 5.64 लाख हेक्टेयर, उत्तर प्रदेश में 4.07 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 1.20 लाख हेक्टेयर और पश्चिम बंगाल में पिछले साल से 0.62 लाख हेक्टेयर अधिक धान रोपा जा चुका है। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, और तमिलनाडु इस खास फसल के क्षेत्र में पहले से ही अच्छी तरह से तैयार हैं।

तिलहन के एरिया में भी पिछले साल से 5.12 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र कवर हो चुका है। इस साल 21 जुलाई तक 160.41 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन फसलों की बुवाई हो चुकी है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 155.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई हुई थी। मध्य प्रदेश में पिछले साल से 4.98 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में खाद्य तेलों वाली फसल बोई जा चुकी है। राजस्थान में 1.91 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 1.31 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 1.12 लाख हेक्टेयर एरिया बढ़ा है। तेलंगाना, असम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और मिजोरम में पिछले साल के मुकाबले अधिक फसल बोई जा चुकी है।

गन्ने की बुवाई में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बताया है कि पिछले वर्ष 21 जुलाई तक 53.34 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया जा चुका था। जबकि इस साल 56 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। इस प्रकार पिछले वर्ष की तुलना में 2.66 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र कवर किया गया है। उत्तर प्रदेश में 3.91 लाख हेक्टेयर अधिक एरिया कवर किया जा चुका है। कर्नाटक, मध्य प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु और ओडिशा में पिछले साल के मुकाबले गन्ना बोई की रफ्तार अच्छी है।

मोटे अनाजों जैसे श्री अन्न की बुवाई में भी वृद्धि देखी जा रही है। इस साल 21 जुलाई तक 134.91 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर हो चुका है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में 128.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र था। कपास का क्षेत्र लगभग पिछले साल के बराबर ही है। पिछले साल 21 जुलाई तक 109.99 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी, जबकि इस बार 109.69 लाख हेक्टेयर में हुई है। हालांकि, दलहन फसलों का क्षेत्र पिछले साल से 9.37 लाख हेक्टेयर कम कवर हुआ है। साल 2022 में 21 जुलाई तक 95.22 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलें बोई गई थीं, जबकि इस बार 85.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र ही कवर हुआ है।

मौसम विभाग के मुताबिक 1 जून से 21 जुलाई तक 18 राज्यों में बारिश सामान्य है। छह राज्यों में बहुत कम और छह में ही सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है। विभाग के अनुसार 6 राज्य ऐसे हैं जिनमें बहुत अधिक बारिश हुई है। मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, झारखंड, बिहार और केरल में बारिश सामान्य से बहुत कम हुई है, जबकि हरियाणा और पंजाब में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में बारिश सामान्य है। देश भर में मॉनसून के प्रदर्शन से खेती की बुआई में तेजी देखी जा रही है। खरीफ सीजन में धान, तिलहन, गन्ना और मोटे अनाजों के क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी देखी गई है। हालांकि, दलहन फसलों के क्षेत्र में इस बार कमी देखी जा रही है। इस संदर्भ में मौसम विभाग के अनुसार भारत के कुछ राज्यों में अभी तक बारिश की मात्रा सामान्य है, जबकि कुछ राज्यों में बहुत कम या अधिक बारिश हुई है। आगामी दिनों में मॉनसून के प्रदर्शनों का ध्यान रखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को उचित सलाह देने की योजना बनाई है। खेती के क्षेत्र में बेहतर फसल उत्पादन के लिए निरंतर प्रयास कर रहे गृह मंत्रालय के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ा दी गई है। इससे देश की खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी।

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