नई दिल्ली: रासायनिक कीटनाशी और फफूंदनाशी का उपयोग करने से खेत में मौजूद मिट्टी की संरचना पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। रासायनिक कीटनाशी का बार-बार प्रयोग करने से मिट्टी में उपस्थित रोगाणुओं में भी सहनशीलता विकसित होने लगती है। इससे फसल की उपज कम हो जाती है। किसान मित्रों, अगर आप चाहें तो रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किए बिना भी मिट्टी के लिए हानिकारक रोगाणुओं को नष्ट कर सकते हैं।
जैविक विधि से मिट्टी शोधन करने के लिए आप मित्रफफूंद ट्राईकोडर्मा विरिडी और ब्यूवेरिया बेसियाना का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए 8 -10 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद लें। इसमें 2 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा विरिडी और 2 किलो ब्यूवेरिया बेसियाना को मिला दें। इसके बाद इस मिश्रण में नमी बनाए रखें। नियमित रूप से हल्का पानी देकर आप मिश्रण में नमी बनाए रख सकते हैं। ध्यान रखें कि इस क्रिया को सम्पन्न करने के दौरान मिश्रण पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए। 4 – 5 दिन के बाद मिश्रण में फफूंद का अंकुरण होने लगेगा। इस दौरान खाद का रंग हल्का हरा होने लगेगा। मिश्रण में आपको जब यह रंग दिखाई दे तब खाद को पलट दें ताकि फफूंद नीचे वाली परत में भी समा जाए। इसके 7 से 10 दिनों के बाद प्रति एकड़ की दर से खेत में इस मिश्रण को बिखेर दें।
खेत में इस मिश्रण को मिलाने के प्रभावस्वरूप भूमि में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु नष्ट हो जाएंगे। किसान मित्रों, इस मिश्रण के प्रयोग से मिट्टी की संरचना में आपको काफी सुधार देखने को मिलेगा। मसलन – इससे लाभकारी जीवों की संख्या में वृद्धि होगी, पौधों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ेगी साथ ही साथ इसकी वजह से हानिकारक कवक भी नष्ट हो जाएंगे। इन सभी प्रभावों के कारण खेत में लगाई जाने वाली फसल का अच्छे से विकास हो सकेगा।