कृषि पिटारा

मुश्किल घड़ी में भी किसानों की मदद कर रहा है किसान कॉल सेंटर

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए देश भर में लागू लॉकडाउन को आगे बढ़ा दिया गया है। अब यह लॉकडाउन आगामी 3 मई तक प्रभावी रहेगा। लॉकडाउन के रहते सावधानी पूर्वक कृषि कार्य कैसे करें, यह सरकार की भी चिंता है और किसानों की भी। रबी फसल की कटाई के समय को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों को लॉकडाउन से विभिन्न प्रकार की रियायतें दी है। इससे जाहिर तौर पर किसानों की चिंता कुछ हद तक कम हुई है। मगर, किसानों के सामने कुछ अन्य प्रकार की भी चुनौतियाँ हैं। मसलन फसल की कटाई से जुड़े सवालों के जवाब या फिर यदि उन्हें कृषि से जुड़ें किसी विषय पर कोई शंका हो तो उसके समाधान के लिए वो कहाँ संपर्क करें? इत्यादि।

ऐसी परिस्थिति में किसान कॉल सेंटर देश भर के किसानों के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। किसानों के सहयोग के लिए कृषि मंत्रालय ने किसान कॉल सेंटर को चालू रखा है। ताकि किसान स्वयं को अलग-थलग ना महसूस करें। किसानों को लगातार कृषि सलाह संबंधी सेवा मिलती रहे इसके लिए कॉल सेंटर के नंबर को कृषि वैज्ञानिकों के निजी मोबाइल नंबर पर डायवर्ट कर दिया गया है। इससे कृषि वैज्ञानिक सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए घर बैठे किसानों को सलाह देने में सक्षम हैं।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार फिलहाल हर दिन किसान कॉल सेंटर में करीब 20 हजार किसान फोन कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक घर बैठे किसानों की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। आपको बता दें कि अभी देश भर में 21 किसान कॉल सेंटर सुचारु रूप से कार्य कर रहे हैं। किसान कॉल सेंटर में सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक किसान फोन करके खेती से जुड़ी अपनी समस्याओं के समाधान पा सकते हैं। फार्म टेली एडवाइजर किसान के सवाल को सुनकर उसका जवाब देगा। किसान कॉल सेंटर में कॉल करने के लिए अपने फोन से 1800-180-1551 डायल करना होगा। इस नंबर पर लैंडलाइन या मोबाइल दोनों से ही बात हो सकेगी।

फिलहाल किसान कॉल सेंटर में करीब सवा सौ कृषि विशेषज्ञ किसानों के कॉल रिसीव कर उनकी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। ये विशेषज्ञ विभिन्न विषयों जैसे कि बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर बिजनेस, जैव प्रौद्योगिकी व गृह विज्ञान में ग्रेजुएट, पीजी और डॉक्टरेट हैं। विभिन्न विषयों में इनकी विशेज्ञता का लाभ किसानों तक भी पहुँचे इसका वे भरसक प्रयास करते हैं। यदि किसी किसान की कॉल तुरंत रिसीव नहीं हो पाती है तो किसान को किसान कॉल सेंटर की ओर से बाद में फोन कर उसकी समस्या का समाधान किया जाता है।

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