केंद्र सरकार ने रबी सीजन 2024-25 के लिए सरसों के उत्पादन का अनुमान 89.30 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई और 128.73 लाख टन उत्पादन का लगाया था, लेकिन अब सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने अपने अनुमान में कुछ बदलाव किया है। SEA ने क्षेत्रीय सर्वेक्षण और सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से किया गया विश्लेषण पेश किया, जिसके अनुसार सरसों का कुल रकबा 92.5 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जबकि उत्पादन 115.2 लाख टन तक रहने की संभावना जताई है।
SEA के अनुसार, रकबा सरकारी आंकड़ों से थोड़ा अधिक है, लेकिन उत्पादन में एक बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। यह अनुमान पिछले साल के सरकारी आंकड़े से थोड़ा कम है, जिसमें रकबा 91.8 लाख हेक्टेयर था, जो इस साल SEA के अनुमान के मुकाबले 2.5 प्रतिशत कम है।
SEA के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की खाद्य तेलों के लिए आयात पर निर्भरता बढ़ी है, और इसके कारण भारत अब दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक बनकर उभरा है। इस स्थिति का असर न केवल देश के खजाने पर पड़ा है, बल्कि किसानों की आय पर भी गंभीर दबाव पड़ा है।
संजीव अस्थाना ने यह भी कहा कि इस सीजन में सरसों की कीमतों में गिरावट की संभावना है। वर्तमान में सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5950 रुपये प्रति क्विंटल है, लेकिन एसएसपी (स्टेट सपोर्ट प्राइस) की ओर बढ़ने के बाद, आवक के दबाव से कीमतों में और गिरावट की संभावना जताई जा रही है। उन्होंने सरकार से यह अनुरोध किया कि किसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NAFED) जैसे संगठनों को MSP पर खरीद के लिए तैयार किया जाए।
SEA ने तिलहन की घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई पहल शुरू की हैं। इनमें से एक प्रमुख पहल ‘मॉडल मस्टर्ड फार्म प्रोजेक्ट’ है, जिसे 2020-21 से चलाया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य वर्ष 2029-30 तक भारत के रेपसीड-सरसों के उत्पादन को 200 लाख टन तक बढ़ाना है।
SEA के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, डॉ. बी.वी. मेहता ने कहा कि इस साल के अनुमान को सटीक बनाने के लिए, SEA ने उच्चतम स्तर की सटीकता हासिल करने के लिए दो दौर के व्यापक फसल सर्वेक्षण किए। इसके अलावा, सैटस्योर एनाल्यूटिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से रिमोट सेंसिंग विश्लेषण भी किया गया है। सर्वेक्षण में बुवाई से लेकर कटाई तक किसानों से लगातार संवाद भी शामिल था, जिससे कृषि पद्धतियों, इनपुट्स के चयन और मौसम के प्रभावों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सके।
SEA के सर्वेक्षण में कुल आठ राज्यों—असम, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल—को शामिल किया गया। इन राज्यों में प्राथमिक सर्वेक्षण किया गया, जबकि अन्य राज्यों में द्वितीयक सर्वेक्षण के आधार पर अनुमान तैयार किया गया। इन आंकड़ों के आधार पर, SEA ने 2024-25 के लिए सरसों के रकबे को 92.5 लाख हेक्टेयर और उत्पादन को 115.2 लाख टन का अनुमान लगाया है।
SEA का संशोधित अनुमान केंद्र सरकार के अनुमान से कुछ अलग है, खासकर उत्पादन के मामले में। जहां एक ओर रकबा थोड़ा बढ़ा हुआ दिख रहा है, वहीं उत्पादन में गिरावट का अनुमान किसानों और खाद्य तेल उद्योग के लिए चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे में, सरकार द्वारा किसानों के समर्थन के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता और अधिक महसूस होती है।