कृषि समाचार

हरियाणा में प्राकृतिक खेती को मिलेगी बड़ी मजबूती, दो जैविक मंडियों की घोषणा, उत्पाद बेचने और ब्रांडिंग के लिए मिलेगी आर्थिक सहायता

हिसार: अब किसानों को केवल प्राकृतिक खेती करने तक ही सीमित नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि उनकी उपज की बिक्री, ब्रांडिंग और बाजार उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में आयोजित ‘प्राकृतिक खेती सम्मेलन’ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्राकृतिक खेती को लेकर कई बड़े ऐलान किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक और जैविक खेती को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहन देने जा रही है और इसी दिशा में हरियाणा में दो जैविक मंडियों की स्थापना की जाएगी। इन मंडियों में किसान अपनी जैविक उपज बिना किसी बिचौलिए के सीधे बेच सकेंगे। साथ ही, प्राकृतिक उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए किसानों को 20,000 रुपये प्रति किसान की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

हिसार में भी बनेगी विशेष जैविक मंडी

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि गेहूं, धान, दालों, फल और सब्जियों जैसी जैविक उपज के लिए हिसार में विशेष जैविक मंडी बनाई जाएगी। इसके साथ ही, उचित मूल्य निर्धारण के लिए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के तहत एक विशेष समिति का गठन भी किया जाएगा। यह समिति प्राकृतिक और जैविक फसलों के लिए बाजार में बेहतर दाम सुनिश्चित करने का काम करेगी।

उत्पादों की जांच के लिए होंगी प्रयोगशालाएं

नायब सिंह सैनी ने यह भी घोषणा की कि प्राकृतिक खेती से प्राप्त उपज की गुणवत्ता जांच के लिए राज्य में विशेष प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। इन प्रयोगशालाओं में किसानों की फसल की नि:शुल्क जांच की जाएगी ताकि उनकी उपज की प्रमाणिकता और गुणवत्ता को लेकर कोई संदेह न रहे।

भूमिहीन किसानों के लिए खेती की जमीन और अन्य लाभ

प्राकृतिक खेती को ग्रामीण स्तर तक ले जाने के लिए सरकार ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कैथल जिले के पूंडरी खंड में कृषि विभाग की 53 एकड़ जमीन को प्राकृतिक खेती के लिए पट्टे पर दिया जाएगा। इसके साथ ही हर पंचायत में कम से कम एक एकड़ पंचायती भूमि प्राकृतिक खेती के लिए आरक्षित की जाएगी, जिसे भूमिहीन किसानों को नीलामी के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार इन किसानों को चार ड्रम की खरीद के लिए 3,000 रुपये प्रति किसान, और देसी गाय की खरीद पर 30,000 रुपये की सब्सिडी भी देगी। अब तक 492 किसानों को देसी गायों की खरीद के लिए 1.23 करोड़ रुपये और 2,500 किसानों को ड्रम खरीदने के लिए 75 लाख रुपये की राशि सरकार ने दी है।

एक लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025-26 तक राज्य में एक लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती को अपनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस दिशा में चार प्रशिक्षण केंद्र — गुरुकुल (कुरुक्षेत्र), हमेटी (जींद), मंगियाना (सिरसा) और घरौंडा (करनाल) में स्थापित किए गए हैं, जहां किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य सरकार के पोर्टल पर अब तक 1.84 लाख से अधिक किसानों ने 2.73 लाख एकड़ भूमि के लिए पंजीकरण कराया है, जिनमें से 10,550 किसानों के 17,087 एकड़ क्षेत्र का सत्यापन भी पूरा हो चुका है।

मुख्यमंत्री का संदेश: प्राकृतिक खेती ही भविष्य

मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि वायु, जल और मिट्टी के संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना है तो रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से निकलकर प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा, “हम खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर जरूर हैं, लेकिन इसकी भारी कीमत चुकाई है – जमीन की उर्वरता में गिरावट, पानी की गुणवत्ता में कमी और पर्यावरण प्रदूषण। यह समय है कि हम टिकाऊ कृषि के मॉडल को अपनाएं और प्राकृतिक खेती के जरिए हरियाणा की कृषि को नई दिशा दें।”

हरियाणा सरकार का यह कदम न केवल किसानों को आर्थिक संबल और बाजार की गारंटी देगा, बल्कि राज्य में स्वस्थ और टिकाऊ कृषि प्रणाली को भी मजबूती प्रदान करेगा। यदि ये योजनाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू होती हैं, तो हरियाणा देश का प्राकृतिक खेती मॉडल स्टेट बन सकता है।

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