गोंदिया, महाराष्ट्र: देश में एक बार फिर से लंपी वायरस बीमारी ने दस्तक दे दी है। अभी कुछ दिनों पहले राजस्थान में लंपी वायरस के मामले मिले थे। इसके बाद अब महाराष्ट्र में भी लंपी वायरस के कुछ मामले दिखाई दे रहे हैं। पिछली बार गायों में जब लंपी वायरस का संक्रमण फैला था, तब इससे पशुपालकों का बहुत नुकसान हुआ था। अब जब दोबारा लंपी वायरस के मामले मिलने शुरू हुए हैं तो एक बार फिर से पशुपालक चिंतित हो उठे हैं। कल राजस्थान के अजमेर जिले की रुपनगढ़ तहसील में कई गायों के अंदर लंपी वायरस के सिम्टम्स पाए गए हैं। हालांकि, इन गायों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेज दिए गए हैं। अब राजस्थान सहित महाराष्ट्र सरकार मामले की गंभीरता को देखते हुए सतर्क हो गई हैं। बीमार पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। चिकित्सक कमजोर और बीमार गाय-भैंसों पर लगातार नजर रखे हुए हैं।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में मवेशियों में लंपी वायरस के लक्षण पाए गए हैं। जिले में लंपी वायरस से तीन मवेशियों की मौत भी हो चुकी है। इससे किसान परेशान हो गए हैं। किसानों का कहना है कि जिले में सभी मवेशियों को लंपी वायरस का टीका भी लगाया गया था। इसके बावजूद फिर से संक्रमण फैलने लगा है। इससे किसानों और पशुपालकों के बीच भय का माहौल बन गया है। पिछले साल भी महाराष्ट्र में लंपी वायरस फैला था। उस समय अक्टूबर महीने तक एक लाख 43 हजार मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित हो गए थे। हालांकि, इनमें से 93 हजार पशु इलाज के बाद स्वस्थ्य हो गए थे। तब महाराष्ट्र के 32 जिलों के 3,030 गांवों में लंपी वायरस नेअपना कहर बरपाया था। इससे 67 हजार से अधिक मवेशियों की मौत हो गई थी। पशुधन के नुकसान के अलावा इससे दूध उत्पादन पर भी बहुत प्रभाव पड़ा था।
पशुपालन विभाग की सलाह के अनुसार लंपी वायरस के लक्षण दिखने पर उस पशु को अन्य मवेशियों से अलग रखना चाहिए। अन्यथा इससे अन्य मवेशियों में भी वायरस फैल सकता है। इस स्थिति में बीमार मवेशियों को घर से दूर बांधना चाहिए और उनके चारा-पानी का प्रबंध भी वहीं पर करना चाहिए। साथ ही समय पर लंपी वायरस से संक्रमित पशु के इलाज का भी प्रबंध करना चाहिए। पशुपालकों की मदद के लिए पशुपालन विभाग ने एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया है। पशुपालक 1800-2330-418 इस पर फोन कर चिकित्सकों से सलाह ले सकते हैं।