पटना: बिहार के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। दरअसल, पिछले महीने हुए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से हजारों किसानों की रबी की फसल बर्बाद हो गई थी। इसके एवज में किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। जिन किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा है, उन्हें सहकारिता विभाग की वेबसाइट पर जाकर कलेम करना होगा। इसके लिए विभाग ने वेबसाइट पर विंडो खोल दी है। किसानों को फसल की क्षति के एवज में 2500 रुपये से लेकर 22500 रुपये तक प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिल सकता है। किसानों को यह मुआवजा फसल सहायता योजना के तहत दिया जाएगा।
विभाग ने कहा है कि मार्च महीने में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से रबी फसलों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। यही वजह है कि सरकार को फसल नुकसान के लिए मुआवजे का ऐलान करना पड़ा। इस बार मार्च महीने के दौरान हुई बारिश से लगभग 54,000 हेक्टेयर में खड़ी फसलों के नुकसान पहुंचा है। सबसे अधिक सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चंपारण, रोहतास और मुजफ्फरपुर सहित छह जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचा है। यही वजह है कि इन 6 जिलों के किसानों को मुआवजा देने के लिए 92 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इन जिलों से लगभग 1.15 लाख किसानों ने फसल मुआवजे के लिए कलेम किया है। माना जा रहा है कि कृषि विभाग की ओर से अगले महीने तक किसानों के खाते में मुआवजा की राशि ट्रांसफर की जा सकती है।
बिहार में प्राकृतिक आपदा के कारण फसल के नुकसान होने पर किसानों को प्रति एकड़ 22,500 रुपये मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। वहीं, सिंचित भूमि पर फसल के नुकसान के लिए 17,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाता है। इसी तरह असिंचित भूमि के लिए यह आंकड़ा 8,500 रुपये प्रति एकड़ है। खास बात यह है कि किसानों को अधिकतम 2 एकड़ के लिए मुआवजा मिलता है। जबकि कृषि विभाग द्वारा गैर-सिंचित, सिंचित और बहुफसली खेतों के लिए न्यूनतम मुआवजा राशि क्रमशः 1 हज़ार रुपये, 2 हज़ार रुपये और 2,500 रुपये निर्धारित की गई है।
गौरतलब है कि, बिहार सरकार ने प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू नहीं किया है। सरकार का मानना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की कवरेज प्रीमियम बहुत अधिक है। ऐसे में सभी किसान इसका भुगतान नहीं कर पाएंगे। यही वजह है कि राज्य सरकार की ओर से साल 2018 में अपनी फसल बीमा योजना शुरू की गई। इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसके लिए किसानों को कोई प्रीमियम नहीं देना पड़ता है। इस योजना के अंतर्गत्त पंजीकरण करवाने के बाद किसानों को योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाता है।